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आदिवासी संस्कृति के बीच बघेली व्यंजनों के चटखारे, होम स्टे की खिड़की से देखिए प्रकृति के अदभुत नजारे

यहां का प्राचीन शिव मंदिर गुफा और ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर फुटफाल बढ़ाने में कारगर साबित हो रहे हैं। बरचर बांध गोपद महानदी और बनास नदी के निकट देसी मिट्टी की दीवार खपरैल और आदिवासियों की कलाकृतियों बनाए गए होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं जहां के कमरों के अंदर से जंगल नदियों की सुंदरता का दीदार होता है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Fri, 09 Feb 2024 05:12 PM (IST)
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आदिवासी संस्कृति के बीच बघेली व्यंजनों के चटखारे
नीलांबुज पांडे, सीधी। देशी-विदेशी पर्यटक सीधी जिले के कुसमी तहसील के खोखरा और ठाड़ी पाथर गांव पहुंच रहे हैं। आदिवासी संस्कृति और प्रकृति के निकट मध्य प्रदेश का यह स्थान संजय टाइगर रिजर्व की सीमा से लगा है। यहां का प्राचीन शिव मंदिर, गुफा और ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर फुटफाल बढ़ाने में कारगर साबित हो रहे हैं। बरचर बांध, गोपद, महानदी और बनास नदी के निकट देसी मिट्टी की दीवार, खपरैल और आदिवासियों की कलाकृतियों बनाए गए होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं जहां के कमरों के अंदर से जंगल, नदियों की सुंदरता का दीदार होता है। इन होम स्टे में मेहमान नवाजी का जिम्मा भी आदिवासी महिला-पुरुषों के पास है। वनांचल की सहजता, गोड़ी बोली, प्रचानी लोककला, पहनावा, खान-पान पर्यटकों के बीच अलग पहचान बना बना रहे हैं।

ग्राम सुधार समिति के अंगिरा मिश्रा कहते हैं कि होमस्टे का संचालन आदिवासी महिला-पुरुष मिलकर करते हैं। वर्ष 2019 में होम स्टे बनने की शुरुआत हुई और वर्तमान में इनकी संख्या सात है। यहां मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, केरल सहित अमेरिका के पर्यटक ठहर चुके हैं। पिछले चार वर्षों में इन आदिवासियों को लगभग पांच लाख रुपए की आमदनी हुई है। खोखरा में 150 और ठाड़ी पाथर होम स्टे में 75 पर्यटक ठहर चुके हैं।

भा रहे देसी व्यंजन

पर्यटकों को देसी व्यंजन बेहद पसंद आ रहे है। इनमें मक्के की रोटी, सरसों की साग, चना की भाजी, कढ़ी, कोदों का चावल, दाल से बनने वाली सब्जी, रिकमच , महुआ की मौहरी (पूरी) , चना दाल की रोटी, पूरी, गुराम जो हलवे जैसा होता है आटे को भूनकर उसमें गुड़ डालकर इसे तैयार किया जाता है, जंगली फल लकडो की खट्टी चटनी हैं। यह सभी व्यंजन चूल्हे से तैयार किए जाते हैं। नाश्ता में हाथ से पोई रोटी, चोखा के अलावा पराठा, सब्जी और पोहा आदि परोसा जा रहा है।

शाम को होता है लोक नृत्य

पर्यटकों के मनोरंजन के लिए आदिवासी महिलाएं एवं पुरुष अपने वेशभूषा में रोजाना शाम को 7 से 8 बजे तक शैला, कर्मा, नगरिया आदि लोकनृत्यों की प्रस्तुति देते हैं जिसमें तमूरा, बांसुरी के साथ लोकगीत गाए जाते हैं।

श्री अन्न संग्रहालय

सीधी का श्री अन्य संग्रहालय भी पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय रहता है। जहां कोदो- लेदरी, डड़गी, आमगौद, कुटकी - मेझरी, मेड़ो, गुडुरू, कतकी कुटकी, ज्वार - झलरी, दुइदनिया,मक्का - सफेद, पीली सामा, बाजरा, रागी आदि के देसी अनाज के बीज प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। यहां से इन बीजों को खरीदा भी जा सकता है।

बांस के बर्तन एवं कृषि यंत्र

बांस रैक, टोपी, खुम्हरी, मजुराला, विसरा, मोरिया, छोपी, ढोटी, धनुष बाण, डस्टबिन, सूप, झिपना, दौरी, बांसा पैला, चुरकी, छन्नी, टोपरी, कउडेरी, पैनारी, अखैनी, चकरा, मूसल आदि कृषि यंत्र हैं।

यह चला रहे होम स्टे

दइया सिंह, कौशिल्या सिंह, जगदीश सिंह, गुड़िया सिंह, रामकुमार सिंह, राजकुमारी, प्रेमलाल साकेत, पार्वती सिंह, राजभान सिंह, सुनीता सिंह,काशी सिंह, शिव कुमारी, शिव प्रसाद बैगा होम स्टे का संचालन कर रहे हैं।

नजदीकी एयरपोर्ट/ रेलवे स्टेशन

सीधी का नजदीकी एयरपोर्ट प्रयागराज है। सड़क मार्ग से सीधी और प्रयागराज के बीच 170 किमी की दूरी है। रीवा रेलवे स्टेशन से भी यहां पहुंचा जा सकता है जिसकी दूरी 160 किमी है । यहां शहडोल के ब्यौहारी रेलवे स्टेशन से भी पहुंचा जा सकता है जो 90 किमी दूर है।

पर्यटक स्थल

खोखरा और थड़ी पाथर से करीब 30 से 35 किलोमीटर के वृत्त में कई प्राकृतिक जंगल, झरने, बनास नदियां, बांध, प्राचीन शिव मंदिर, गुफा, वोटिंग के लिए बरचर बांध, रेतीले व्यू प्वाइंट, संजय टाइगर रिजर्व का बफर जोन,जंगल का ट्रेकिंग क्षेत्र है। साल के घने जंगल बहुत ही खूबसूरत है। यहां करीब सौ से अधिक स्थान पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं।

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