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प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर ध्वज के डिजाइन में बदलाव, अब दिखेगा सूर्य और कोविदार का पेड़; जानिए इनका पौराणिक महत्व

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीख (22 जनवरी) नजदीक आ रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इससे पहले अयोध्या के श्रीराम मंदिर में लगाए जाने वाले ध्वज की डिजाइन में बदलाव किया गया है। मंदिर के नए ध्वज पर सूर्य और कोविदार के पेड़ को भी अंकित किया गया है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 04 Jan 2024 07:42 PM (IST)
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राम मंदिर के ध्वज में सूर्य और कोविदार किए जाएंगे अंकित (फोटो, राम मंदिर ट्रस्ट)
जागरण न्यूज नेटवर्क, रीवा। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीख (22 जनवरी) नजदीक आ रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इससे पहले अयोध्या के श्रीराम मंदिर में लगाए जाने वाले ध्वज की डिजाइन में बदलाव किया गया है।

मंदिर के नए ध्वज पर सूर्य और कोविदार के पेड़ को भी अंकित किया गया है। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए 100 ध्वज मध्य प्रदेश के रीवा जिले से भेजे जा रहे हैं। ध्वजों को रीवा के हरदुआ गांव निवासी ललित मिश्रा तैयार करवा रहे हैं।

ध्वज की लंबाई-चौड़ाई निर्धारित की जाएगी

ललित मिश्रा ने हाल ही में ध्वज के प्रारूप को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय को भेंट किया था। हालांकि, कमेटी ने ध्वज में कुछ परिवर्तन करने का सुझाव दिया है। अब नए डिजाइन को कमेटी के सामने पेश किया जाएगा। कमेटी से ध्वज पास होने के बाद इसकी लंबाई-चौड़ाई निर्धारित की जाएगी।

कचनार और कोविदार में फर्क

ललित मिश्रा ने मीडिया को बताया कि सूर्य सूर्यवंश का प्रतीक है, इसलिए सूर्य को ध्वज में अंकित किया गया है। कोविदार का पेड़ अयोध्या के राजध्वज में अंकित हुआ करता था। यह एक तरह से यह अयोध्या का राजवृक्ष हुआ करता था।

समय के साथ कोविदार को लेकर जानकारी कम हुई

उन्होंने कहा कि इसलिए कोविदार के पेड़ को भी ध्वज में जगह दी गई है। समय के साथ कोविदार को लेकर जानकारी कम होती गई। जो लोग कोविदार को ही कचनार का पेड़ मानते हैं, उनकी धारणा गलत है।

कोविदार को ऋषि कश्यप ने बनाया था

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, इस पेड़ को ऋषि कश्यप ने बनाया था। इसका जिक्र हरिवंश पुराण में मिलता है। यह पेड़ पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। बता दें कि पहले तैयार किए गए ध्वज में कचनार का पेड़ था और सूर्य अंकित नहीं था।

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