महाकाल मंदिर के गर्भगृह में घुसे महाराष्ट्र सीएम के बेटे, कठघरे में मंदिर प्रबंध समिति; हटाए गए व्यवस्था प्रभारी
Ujjain ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के गर्भगृह में राजनीतिक हस्तियों के प्रवेश को लेकर एक बार फिर मंदिर प्रबंध समिति सवालों के घेरे में है। महाराष्ट्र के सीएम के बेटे को उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक जाने देने पर विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर प्रबंध समिति ने सवाल उठने के बाद व्यवस्था प्रभारी विनोद चौकसे को पद से हटा दिया है। पढ़ें क्या है पूरा मामला।
जेएनएन, उज्जैन। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे द्वारा महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रतिबंध के बावजूद प्रवेश करने के मामले में मंदिर प्रबंध समिति ने दर्शन व्यवस्था प्रभारी विनोद चौकसे को पद से हटा दिया है और चार अन्य कर्मचारियों को नोटिस देकर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है।
बता दें कि गुरुवार शाम श्रीकांत शिंदे पत्नी और दो अन्य लोगों के साथ महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर गए। भीतर जाकर पांच मिनट से भी अधिक समय तक पूजन करते रहे। इस दौरान उन्हें किसी ने नहीं रोका। मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने जांच और कार्रवाई की बात कही थी।
(महाकाल मंदिर के गर्भगृह में जुलाई-2023 से ही प्रवेश बंद है।)
सुरक्षा व्यवस्था प्रभारी भी थे मौजूद
उधर, मंदिर से जुड़े सूत्रों के अनुसार गर्भगृह में जाने के पहले श्रीकांत के साथ सुरक्षा व्यवस्था प्रभारी जयंत राठौड़, घट्टिया से भाजपा विधायक सतीश मालवीय मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि पंडित आशीष पुजारी ने शिंदे को सोला (धोती) पहनाया था। प्रशासक का कहना है कि जांच जारी है। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी।पत्नी व दो लोगों के साथ गर्भगृह तक चले गए थे सांसद
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के गर्भगृह में राजनीतिक हस्तियों के प्रवेश को लेकर एक बार फिर मंदिर प्रबंध समिति सवालों के घेरे में है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे व सांसद श्रीकांत शिंदे पत्नी और दो अन्य लोगों के साथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर गए और पांच मिनट से भी अधिक समय तक पूजन करते रहे।
(महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे हैं श्रीकांत शिंदे। File Image)
नियमानुसार शिंदे को रोका जाना चाहिए था, क्योंकि गर्भगृह में किसी के भी प्रवेश पर प्रतिबंध है। ऐसे में, उन्हें मंदिर के नियमों की जानकारी दी जानी चाहिए थी। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि किसी को अनुमति नहीं दी गई थी। वहीं, मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने जांच और कार्रवाई की बात कही है। किंतु यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि शिंदे को गर्भगृह तक कैसे जाने दिया गया।
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