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महाकाल मंदिर में अब नहीं ले जा पाएंगे मोबाइल, गर्भगृह अग्निकांड के बाद मंदिर प्रशासन हुआ सख्त, भस्म आरती में पुजारियों की संख्या सीमित

भस्म आरती दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को भी जांच पड़ताल के उपरांत ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। श्रद्धालुओं के मोबाइल लेकर आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सहित अन्य संवेदनशील उपकरण जिनसे दुर्घटना की आशंका होती है उन्हें अलग रखवाने के लिए काउंटर बनाए जा रहे हैं। भस्म आरती में पुजारियों की संख्या सीमित कर दी गई है।

By Rajesh Verma Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 11 Apr 2024 06:00 AM (IST)
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महाकाल मंदिर में अब नहीं ले पाएंगे मोबाइल, गर्भगृह अग्निकांड के बाद मंदिर प्रशासन हुआ सख्त
जेएनएन, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में होली पर हुए अग्निकांड के बाद मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए कठोर कदम उठाए हैं। भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में पुजारियों की संख्या को समित कर दिया गया है। साथ ही पंडे, पुजारी तथा सेवकों के अनावश्यक रूप से मंदिर में घूमने पर रोक लगा दी गई है।

अनावश्यक पंडा, पुजारी और सेवकों का प्रवेश भी प्रतिबंधित

श्रद्धालुओं का मंदिर में मोबाइल लेकर प्रवेश करना भी प्रतिबंधित किया गया है। मंदिर प्रशासक मृणाल मीना ने बताया महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति तथा जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त द्वार से कार्रवाई की जा रही है। इसके तहत भस्म आरती के समय गर्भगृह में पुजारियों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। अनावश्यक पंडा, पुजारी और सेवकों का प्रवेश भी प्रतिबंधित किया गया है।

भस्म आरती दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को भी जांच पड़ताल के उपरांत ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। श्रद्धालुओं के मोबाइल लेकर आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इलेक्ट्रानिक उपकरण सहित अन्य संवेदनशील उपकरण जिनसे दुर्घटना की आशंका होती है, उन्हें अलग रखवाने के लिए काउंटर बनाए जा रहे हैं।

यह निर्देश भी

-भस्म आरती के नाम पर श्रद्धालुओं से रुपये लेने वालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है।

-भस्म आरती के दौरान पहले लोग नंदीजी के सामने गेट तक बैठते थे। अब भक्तों को नंदीजी के पीछे से बैठाया जा रहा है। इससे आपात स्थिति में नगाड़ा गेट से नंदी हाल के रैंप तक आवागमन अवरुद्ध नहीं होगा।

-गर्मी को दृष्टिगत रखते हुए मंदिर के द्वार से मंदिर तक छांव तथा कारपेट बिछाने की व्यवस्था की गई है।

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