Ujjain: महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसाद के पैकेट का डिजाइन बदला, अब इस नए रूप में होगी पैकिंग
Ujjain उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के प्रसाद के पैकेट का डिजाइन एक बार फिर बदला गया है। इससे पहले तीन सप्ताह पूर्व भी प्रसाद के पैकेट का डिजाइन बदला गया था। यह सब बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि पुरानी डिजाइन पर कई साधु-संतों एवं धार्मिक संगठनों ने आपत्ति जताई थी। इस पर हाईकोर्ट ने डिजाइन में बदलाव का निर्देश दिया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में महाकाल मंदिर का प्रसाद अब नए डिजाइन के पैकेट में देखने को मिलेगा। मंदिर समिति ने तीन हफ्ते में दूसरी बार प्रसाद के पैकेट का डिजाइन बदला है। अब नए पैकेट में महाकाल मंदिर के प्रवेश द्वार, नंदी द्वार की तस्वीर लगाई गई है।
गौरतलब है कि पहले प्रसाद के पैकेट पर महाकाल शिखर और ओम की तस्वीर होती था। हांलाकि, इस डिजाइन पर विवाद होने के बाद मंदिर समिति ने इसे बदलकर पैकेट पर फूल का फोटो लगाया था। इसे एक बार फिर बदल दिया गया है और नई डिजाइन के साथ पैकेट जारी किया गया है।
पुरानी डिजाइन पर जताई गई थी आपत्ति
यह पैकेट प्रसाद की दुकानों पर भी उपलब्ध हो गया है। बता दें कि प्रसाद के पैकेट की पुरानी डिजाइन पर कुछ साधु, संतों एवं धार्मिक संगठनों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि प्रसाद के पैकेट को फेंक दिया जाता है, ऐसे में धार्मिक प्रतीकों का अपमान होता है, इसलिए पैकेट की डिजाइन बदल दी जाए। इस पर इंदौर हाईकोर्ट ने मंदिर समिति को 3 महीने में मामले का समाधान करने का निर्देश दिया था।(प्रसाद के पैकेट की पुरानी डिजाइन। File Image)
शुद्ध घी से तैयार किया जाता है प्रसाद
समिति ने कुछ दिन पहले महाकाल शिखर की फोटो हटाकर फूलों की तस्वीर वाले पैकेट तैयार किये थे। हांलाकि, कुछ दिन बाद फिर से डिजाइन में बदलाव किया गया है। बताते चलें कि महाकाल मंदिर में प्रतिदिन बड़े पैमाने पर प्रसाद बनाया जाता है और वितरित किया जाता है। यह देश और विदेश में भक्तों के बीच लोकप्रिय है। प्रसाद को शुद्ध घी और बेसन से तैयार किया जाता है।
इधर, दीवाली के मौके पर ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गुरुवार तड़के 4 बजे भस्म आरती में राजसी वैभव के साथ दीपावली मनाई गई। अवंतिकानाथ महाकाल केसर चंदन के उबटन से अभ्यंग स्नान किया। इसके बाद अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की गई। परंपरा अनुसार दीपावली पर नित्य होने वाली पांच आरती में फुलझड़ी जलाई गई।
(दीवाली पर मंदिर में की गई विशेष आरती।)इसके बाद भगवान को गर्म जल से स्नान कराया गया, गर्म जल से स्नान का यह क्रम फाल्गुन पूर्णिमा अर्थात होली के दिन तक चलेगा। स्नान ध्यान के उपरांत भगवान को नवीन वस्त्र व सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर दिव्य स्वरूप में शृंगार किया गया।
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