MP News: भस्म आरती अग्निकांड के बाद छिड़ी बहस, क्या देश के अन्य मंदिरों की व्यवस्था महाकाल में लागू हो पाएगी; खड़े हुए ये सवाल
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं.महेश पुजारी ने कहा कि मंदिर समिति दूसरे मंदिरों की व्यवस्थाओं को महाकाल मंदिर में लागू करना चाहती है। लेकिन यह उचित नहीं है मंदिर समिति वहां की व्यवस्था यहां लागू भी नहीं कर सकती है। मंदिर समिति को दूसरे मंदिरों की व्यवस्था की नकल करने बजाय स्वयं की अच्छी व्यवस्था बनानी चाहिए।
जेएनएन, उज्जैन। महाकाल मंदिर की अपनी एक परंपरा और व्यवस्था है, जो बहुत पुराने समय से चली आ रही हैं। होली पर मंदिर के गर्भगृह में हुए अग्निकांड के बाद प्रशासन ने चार दल गठित कर देश के अन्य मंदिरों की व्यवस्था का जायजा लेने भेजा है।
मंदिर समिति वहां की व्यवस्थाओं को महाकाल मंदिर में लागू करना चाहती है। लेकिन यह उचित नहीं है, मंदिर समिति वहां की व्यवस्था यहां लागू भी नहीं कर सकती है। अगर समिति ऐसा करती है, तो पुजारी महासंघ सबसे पहले उसका स्वागत करेगा। यह बात अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं.महेश पुजारी ने मीडिया से चर्चा में कही।
देश के अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन की व्यवस्था अलग
उन्होंने कहा कि देश के अन्य प्रमुख मंदिरों की दर्शन व्यवस्था वीआइपी , प्रोटोकाल और अधिकारियों से ज्यादा आम भक्त और पुजारियों के मान सम्मान को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाती हैं। जैसे तिरुपति बालाजी में वीआइपी और प्रोटोकाल के तहत दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी शुल्क देना होता हैं।पूर्व में महाकाल मंदिर के तात्कालिक प्रशासक सोजान सिंह रावत एक प्रतिनिधि मंडल के साथ तिरुपति बालाजी मंदिर की व्यवस्था का जायजा लेने गए थे, उन्हें भी वहां 500 रुपये की रसीद कटवाने के बाद दर्शन सुविधा मिली थी। जबकि महाकाल मंदिर में वीआइपी और प्रोटोकाल के तहत आने वाले दर्शनार्थियों को तमाम तरह की सुविधाएं दी जाती है।
मंदिर समिति को दूसरे मंदिरों की व्यवस्था की नकल करने बजाय स्वयं की ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जो देश के अन्य मंदिरों के लिए उदाहरण हो और उसे अगले सौ वर्षों तक बदलना ना पड़े।
इन मंदिरों की यह व्यवस्था...क्या यहां लागू होगी?
- खाटू श्याम में 10 फीट दूर से आम और वीआइपी को एक साथ दर्शन कराए जाते हैं।- काशी विश्वनाथ में भी आम भक्तों को गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाने की सुविधा दी जाती हैं। गर्भगृह में बैठकर पुजारी अभिषेक कराते हैं। साथ ही आरती के समय सभी पुजारी मिलकर आरती करते हैं।
-शिर्डी में भी भक्तो को समाधि तक स्पर्श करने की सुविधा है। इन स्थानों पर पुजारियों पर भी प्रकार के प्रतिबंध नहीं होते हैं।इस प्रकार की व्यवस्था स्वागत योग्यराष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि शिर्डी में भक्तों को अन्नक्षेत्र में निशुल्क भरपेट भोजन कराया जाता है। धर्मशाला में नाम मात्र शुल्क पर कमरे किराए से दिए जाते हैं। श्रद्धालुओं को निशुल्क लाकर की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर में मिलने वाला प्रसाद भी बाजार रेट पर नहीं, बल्कि नाम मात्र शुल्क पर दिया जाता है। अगर मंदिर समिति उक्त मंदिरों की व्यवस्था महाकाल मंदिर में लागू करती है, तो यह निर्णय स्वागत योग्य है।
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