2008 Malegaon Blast Case: मालेगांव ब्लास्ट मामले में गवाही देने के लिए अब कोई गवाह नहीं, अंतिम दलीलें जल्द होंगी शुरू
2008 Malegaon Blast Case विशेष एनआईए अदालत महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 के विस्फोट मामले में अंतिम दलीलों पर गुरुवार को सुनवाई शुरू करेगी। मामले में अंतिम गवाह मंगलवार को मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित द्वारा पेश किया गया था। वहीं अदालत ने आरोपी संख्या 5 समीर कुलकर्णी को छोड़कर सभी आरोपियों को उपस्थित रहने को कहा है।
एएनआई, मुंबई (महाराष्ट्र)। मुंबई की एक विशेष अदालत मालेगांव 2008 विस्फोट मामले में घटना के लगभग 16 साल बाद गुरुवार को अंतिम दलीलें सुनना शुरू करेगी। मामले में अंतिम गवाह मंगलवार को मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित द्वारा पेश किया गया।
अदालत ने मामले में सभी वकीलों को निर्देश दिया है कि कोई भी व्यक्ति गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूए(पी)ए) के मुद्दे पर बहस नहीं करेगा, क्योंकि इस मामले में यूए(पी)ए की मंजूरी का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
अदालत ने आरोपी संख्या 5, समीर कुलकर्णी को छोड़कर सभी आरोपियों को उपस्थित रहने को कहा है, क्योंकि उसके मुकदमे पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 14 सितंबर 2023 को विशेष एनआईए कोर्ट को सूचित करते हुए एक आवेदन दायर किया कि उसने साक्ष्य दर्ज करने का काम पूरा कर लिया है और उसे अपनी ओर से बयान के लिए किसी और गवाह को बुलाने की जरूरत नहीं है। एनआईए ने इस मुकदमे में 323 गवाहों के बयान दर्ज किए और इनके अलावा 37 गवाह मुकर भी गए।
29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, उसके बाद 2011 में इसे एनआईए को सौंप दिया गया।
मालेगांव विस्फोट मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और छह अन्य पर मुकदमा चल रहा है। इस साल 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
कुलकर्णी द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में ट्रायल कोर्ट की मुकदमा चलाने की क्षमता को चुनौती दी गई थी और साथ ही यूएपीए की धारा 45(2) के तहत वैध मंजूरी के बिना मुकदमा चलाने को भी चुनौती दी गई थी।याचिका में बॉम्बे उच्च न्यायालय के 28 जून, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एनआईए अदालत के 24 अप्रैल, 2023 के आदेश को बरकरार रखा गया था, जिसमें वैध मंजूरी के बिना मुकदमा चलाने की अदालत की क्षमता के संबंध में कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया गया था।
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