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'कैबिनेट मंत्री का मिलना चाहिए था पद', NCP के बाद अब शिवसेना भी राज्यमंत्री पद को लेकर नाराज

राकांपा के बाद अब भाजपा में भी मंत्री पद को लेकर असंतोष जताया जा रहा है। मावल लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनकर आए शिवसेना शिंदे गुट के सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा है कि जनतादल (एस) एवं बिहार की ‘हम’ पार्टी के क्रमशः दो और एक सीटें जीतकर आने के पर भी एक-एक कैबिनेट मंत्री पद दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 10 Jun 2024 08:49 PM (IST)
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NCP के बाद अब शिवसेना भी राज्यमंत्री पद को लेकर नाराज (Image: ANI)

राज्य ब्यूरो, मुंबई। नए केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद को लेकर महाराष्ट्र के मित्रदलों में असंतोष दिखाई दे रहा है। एक दिन पहले राकांपा (अजीत) ने जहां राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार लेने से इंकार कर दिया था, वहीं अब शिवसेना शिंदे गुट की ओर से भी कैबिनेट मंत्री का पद न मिलने पर असंतोष जताया जा रहा है।

मावल लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनकर आए शिवसेना शिंदे गुट के सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा है कि जनतादल (एस) एवं बिहार की ‘हम’ पार्टी के क्रमशः दो और एक सीटें जीतकर आने के पर भी एक-एक कैबिनेट मंत्री पद दिया गया है। जबकि शिवसेना के सात सांसद होने के बावजूद उसे सिर्फ एक राज्यमंत्री का पद दिया गया है।

कैबिनेट मंत्री का पद मिलना चाहिए था

बारणे ने कहा कि शिवसेना के प्रदर्शन को देखते हुए उसे कम से कम एक कैबिनेट मंत्री का पद मिलना चाहिए था। बता दें कि इससे पहले भाजपा के मित्र दल राकांपा (अजीत) की ओर से भी मोदी मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पद न मिलने पर मंत्रीपद ठुकराया जा चुका है।

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा था कि अजीत गुट को सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद दिया जा रहा था। लेकिन उन्होंने यह पद लेने से इंकार कर दिया। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि वह कैबिनेट मंत्री के पद के लिए इंतजार करेंगे।

भाजपा के मित्रदलों के बीच नाराजगी

बता दें कि भाजपा के मित्रदलों की इस नाराजगी के बीच विरोधी दलों को भी टिप्पणियां करने का अवसर मिल गया है। शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि राकांपा को मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। क्योंकि भाजपा का दृष्टिकोण सबके साथ समान व्यवहार करने का नहीं है। सुप्रिया ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्ववाली संप्रग सरकार में डा.मनमोहन सिंह ने पवार साहब (शरद पवार) को ढाई मंत्रालय दिए थे। जबकि राकांपा के पास उस समय भी आठ या नौ सांसद ही थे।

सुले ने कहा कि कांग्रेस उस समय संख्या के बारे में नहीं सोचा, और सहयोगी के तौर पर पार्टी का सम्मान किया। क्योंकि हमारा रिश्ता आपसी सम्मान और योग्यता पर आधारित था। जबकि हमने 10 साल में करीब से देखा है कि उन्होंने (भाजपा) ने अपने सहयोगी दलों के साथ कैसा व्यवहार किया है।

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