टकराव की सियासत को और बढ़ाएगी, उद्धव सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी
नारायण राणे की राजनीतिक पैदाइश एवं परवरिश दोनों शिवसेना में हुई। इसलिए उन्होंने बालासाहब ठाकरे के नजदीक रहते हुए उन्हीं की आक्रामक शैली में राजनीति करने के गुर सीखे।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे स्वयं भले सौम्य दिखते हों लेकिन उनके इर्द-गिर्द राणे जैसी ही आक्रामकता वाले शिवसैनिकों की भरमार है।
By Priti JhaEdited By: Updated: Wed, 25 Aug 2021 11:26 AM (IST)
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। उद्धव सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में सियासी टकराव और बढ़ता दिखाई दे, तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। राणे को जमानत मिलने के तुरंत बाद उनके विधायक पुत्र नितेश राणे ने प्रकाश झा की फिल्म राजनीति का एक दृश्य ट्वीट कर इसके संकेत दे दिए हैं। इस दृश्य में अभिनेता मनोज वाजपेयी कहते दिखाई देते हैं – ‘करारा जवाब मिलेगा’।
नारायण राणे की राजनीतिक पैदाइश एवं परवरिश दोनों शिवसेना में हुई। इसलिए उन्होंने शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के नजदीक रहते हुए उन्हीं की आक्रामक शैली में राजनीति करने के गुर सीखे। दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे स्वयं भले सौम्य दिखते हों, लेकिन उनके इर्द-गिर्द राणे जैसी ही आक्रामकता वाले शिवसैनिकों की भरमार है। स्वयं उद्धव में भी यह आक्रामकता शिवसेना की दशहरा रैली जैसे कुछ अवसरों पर दिखाई दे जाती है। यह आक्रामता भारत की सामान्य राजनीतिक संस्कृति से थोड़ा भिन्न है।
प्रधानमंत्री एवं अमित शाह को अफजल खान कहना, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को उन्हीं के चप्पलों से पीटने की बात कहना शिवसेना की इसी शैली का हिस्सा माना जाता है। संभवतः शिवसेना की इसी शैली से निपटने के लिए भाजपा नारायण राणे को न सिर्फ पार्टी में लाई है, बल्कि उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया है।
राणे को किसी भी तरह का सम्मान देना शिवसेना को कतई पसंद नहीं आता। 2014 से 2019 तक चली फडणवीस सरकार में कुछ महीने बाद ही शिवसेना शामिल हो गई थी। भाजपा से राणे की नजदीकियां भी उसी दौर में शुरू हो गई थीं। फडणवीस उन्हीं दिनों राणे को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे। लेकिन शिवसेना के दबाव के कारण वह ऐसा नहीं कर सके।
यह सच है कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन के दौर में समूचा कोंकण शिवसेना के ही हिस्से में था। इसलिए भाजपा वहां अपना जनाधार कभी बढ़ा ही नहीं पाई। यह भी सही है कि कोंकण में शिवसेना की मजबूती का बड़ा कारण नारायण राणे ही थे। चूंकि कोंकण मूल के लोगों की बड़ी आबादी मुंबई में बसती है। इसलिए मुंबई महानगरपालिका पर भी शिवसेना की इस मजबूती का असर दिखता है। भाजपा नारायण राणे को महत्व देकर कोंकण और मुंबई के इसी जनाधार में सेंध लगाना चाहती है।
क्योंकि अगले छह माह में ही मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने हैं। कोंकण और मुंबई में अपनी मजबूती के कारण ही शिवसेना 32 साल से मुंबई महानगरपालिका पर राज करती आ रही है। मुंबई मनपा के पिछले चुनाव में भाजपा लंबी छलांग लगाने के बावजूद शिवसेना से दो सीट पीछे रह गई थी। इस बार भाजपा नारायण राणे के सहारे थोड़ा और लंबी छलांग लगाकर शिवसेना से उसका यह गढ़ छीनना चाहती है। इस लड़ाई में निर्विवाद रूप से राणे ही उसके सेनापति होंगे।
मंगलवार रात महाड कोर्ट ने उन्हें ऐसी भाषा (मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारनेवाली) दुबारा इस्तेमाल न करने की चेतावनी भले दी हो, लेकिन गिरफ्तारी से तिलमिलाए राणे का ऐसी भाषा से परहेज कर पाना संभव नहीं लगता। कोकण एवं मुंबई में उनके समर्थक भी उनकी गिरफ्तारी से खार खाए हुए हैं।दूसरी ओर राणे की गिरफ्तारी ने शिवसैनिकों का मनोबल भी बढ़ा दिया है। इस घटना ने उन्हें राज्य में अपनी सरकार होने का अहसास कराया है। जाहिर है, दोनों पक्ष अपनी आक्रामकता दिखाने का कोई अवसर अब हाथ से जाने नहीं देंगे।
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