Andheri Byelection में लंबी रणनीति के तहत BJP ने वापस ली है उम्मीदवारी
Andheri Byelection अंधेरी विधानसभा सीट के उपचुनाव से भाजपा के उम्मीदवारी वापस लेने के बाद से विपक्षी दलों के तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने लंबी रणनीति के तहत इस चुनाव से अपनी उम्मीदवारी वापस ली है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Andheri Byelection: महाराष्ट्र में मुंबई की अंधेरी (पूर्व) विधानसभा सीट के उपचुनाव से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवारी वापस लेने के बाद से विपक्षी दलों के तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं, लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने लंबी रणनीति के तहत इस चुनाव से अपनी उम्मीदवारी वापस ली है। शिवसेना (Shivsena) के विधायक रहे रमेश लटके के असामयिक निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
उद्धव ने ऋतुजा को बनाया उम्मीदवार
शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे यानी उद्धव ठाकरे गुट ने इस सीट से दिवंगत विधायक की विधवा ऋतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने इस क्षेत्र के पूर्व सभासद मुरजी पटेल को उम्मीदवार बनाया था। ऋतुजा महाराष्ट्रियन हैं, जबकि मुरजी पटेल गुजराती। ऋतुजा के विरुद्ध उम्मीदवारी वापस लेने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने देवेंद्र फडणवीस से अपील की थी। इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने यह कहते हुए अपना उम्मीदवार वापस लेने की घोषणा की है कि महाराष्ट्र की परंपरा रही है कि किसी दिवंगत सांसद या विधायक के परिजनों के विरुद्ध उम्मीदवार नहीं खड़ा किया जाता। हम इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए अपना उम्मीदवार वापस ले रहे हैं।
बीएमसी चुनाव की भूमिका तैयार कर रही है भाजपा
वास्तव में यह परंपरा तो है ही, लेकिन भाजपा इससे कहीं आगे सोच कर चल रही है। वह निकट भविष्य में होने वाले मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों की भूमिका तैयार कर रही है। इस चुनाव में भाजपा जीतती या हारती, दोनों ही परिस्थितियों में नुकसान उसे ही होता। यदि भाजपा हार जाती तो उद्धव ठाकरे गुट की बांछें खिल जातीं। उसे यह कहने का अवसर मिल जाता कि शिवसेना को दोफाड़ करके ही भाजपा उसे कमजोर नहीं कर पाई है। उद्धव गुट इस जीत का सांकेतिक लाभ भी पूरे महाराष्ट्र में उठाने की कोशिश करता। इसके विपरीत यदि इस चुनाव में भाजपा जीत जाती, तो उद्धव गुट अपनी हार को एक गैरमराठी की मराठी मानुष पर जीत कहकर प्रचारित करता। उसकी यह हार बीएमसी चुनाव में मराठी मतों के ध्रुवीकरण में सहायक होती। एक दिवंगत मराठी विधायक की विधवा के हारने पर यह भावना और प्रबल हो सकती थी।
शिवसेना को बीएमसी से हटाना चाहती है भाजपा
भाजपा उसे यह अवसर नहीं देना चाहती थी। शिवसेना पिछले 30 साल से मुंबई महानगरपालिका पर शासन कर रही है। राज्य की सत्ता से हटाने के बाद भाजपा की पहली प्राथमिकता उसे बीएमसी की सत्ता से भी हटाना है। भाजपा अपनी तरफ से ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती, जिसके कारण मुंबई में मराठी मतो का ध्रुवीकरण शिवसेना के पक्ष में होता दिखाई दे। यही कारण है कि जब मराठियों के बीच उद्धव ठाकरे के बराबर की लोकप्रियता रखने वाले राज ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर शिवसेना उम्मीदवार ऋतुजा लटके के विरुद्ध उम्मीदवारी वापस लेने की अपील की, तो भाजपा ने उनकी अपील स्वीकार करने में तनिक भी देर नहीं लगाई। क्योंकि निकट भविष्य में किसी न किसी रूप में राज ठाकरे का भाजपा के नजदीक आना भी तय माना जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की तिकड़ी उद्धव ठाकरे के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेगी।