Maharashtra: BJP की इस रणनीति से MVA की बढ़ी मुसीबतें, आसान नहीं होगी कामयाबी की राह
बागियों-निर्दलीयों को उतारने का रणनीतिक दांव उत्तर महाराष्ट्र में दोनों गठबंधनों के लिए सिरदर्दी बन गया है। कई सीटों पर निर्दलीयों को भाजपा का परोक्ष समर्थन महाविकास अघाड़ी के लिए चुनौती बन गया है। लोकसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था और इसकी वजह से ही विधानसभा चुनाव में अजीत पवार को महायुति की कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
संजय मिश्र, नासिक। विधानसभा चुनाव में उत्तर महाराष्ट्र की सीटों पर निर्दलीय-बागी उम्मीदवारों की बड़ी संख्या राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों सत्ताधारी महायुति और विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA) की चुनावी सिरदर्दी है, मगर इसमें आघाड़ी के लिए चुनौती ज्यादा बड़ी नजर आ रही है। वह इसलिए कि पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव की कामयाबी को उसी रूप में विधानसभा चुनाव में दोहराने की राह आसान नहीं दिख रही।
स्ट्राइक रेट को कायम रखना चुनौती
लड़की-बहिन जैसी लोक लुभावन योजनाओं के दम पर सत्ता विरोधी मिजाज का असर कम करने के प्रयासों के बाद चुनावी मैदान में पर्दे के पीछे से महायुति की ओर से सजाई गई निर्दलीय उम्मीदवारों की फील्डिंग की वजह से लोकसभा चुनाव के स्ट्राइक रेट को कायम रखना आघाड़ी के लिए सहज नहीं रह गया।
बिछाए गए रणनीतिक जाल
खासकर यह देखते हुए कि नासिक इलाके की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्याज किसानों के मुद्दे की गरमी इस बार शांत है। लोकसभा चुनाव के बाद महायुति को ट्रैक पर लाने के लिए भाजपा की ओर से बिछाए गए रणनीतिक जाल के अलावा नासिक जिले में अजीत पवार की एनसीपी का एक फैक्टर के रूप में मौजूद रहना भी महाविकास आघाड़ी के लिए चुनौती है।महायुति की कमजोर कड़ी
लोकसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था और इसकी वजह से ही विधानसभा चुनाव में अजीत पवार को महायुति की कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। मगर नासिक जिले की 15 विधानसभा सीटों में कम से कम पांच पर अजीत के उम्मीदवार चुनावी लड़ाई में मजबूती से डटे हैं जिसमें येवला सीट से छगन भुजबल जैसे एनसीपी के बड़े नेता भी शामिल हैं।
वोटों का बिखराव
वैसे उत्तर महाराष्ट्र पिछले कुछ अर्से से भाजपा का भी मजबूत गढ़ रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव में उसे झटका लगा। तभी पार्टी विधानसभा चुनाव में सधे हुए रणनीतिक चाल चल रही है और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वोटों का बिखराव करने का दांव इसका हिस्सा ही माना जा रहा है।बागी-निर्दलीय दोनों खेमों के लिए चुनौती
नासिक की तीनों शहरी सीटों के अलावा चंदवाड़, बागलान, कलवण जैसी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस-शिवसेना यूबीटी-एनसीपी एसपी के उम्मीदवारों के लोकसभा चुनाव के समीकरण को बिगाड़ रहे हैं। जैसाकि त्रयंबेकश्वर में एक पेशेवर शैक्षणिक संस्थान का संचालन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमर सोनवाने कहते हैं कि बागी-निर्दलीय दोनों खेमों के लिए चुनौती हैं।
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