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'हर न्यूड पेंटिंग अश्लील नहीं होती,' बॉम्बे हाई कोर्ट ने कस्टम अधिकारियों को लगाई फटकार; कहा-14 दिन में करें वापस

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा ऐसी हर पेंटिंग को अश्लील नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सेक्स और अश्लीलता में फर्क होता है। इसके बाद अदालत ने कस्टम विभाग को जब्त की गई न्यूड पेंटिंग को रिलीज करने का आदेश दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कस्टम डिपार्टमेंट को मशहूर कलाकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की पेंटिंग्स को जारी करने का निर्देश दिया।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sat, 26 Oct 2024 04:56 PM (IST)
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने न्यूड पेटिंग मामले में की सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज न्यूड पेटिंग मामले में सुनवाई की है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, ऐसी हर पेंटिंग को अश्लील नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सेक्स और अश्लीलता में फर्क होता है। इसके बाद अदालत ने कस्टम विभाग को जब्त की गई न्यूड पेटिंग को रिलीज करने का आदेश दिया।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कस्टम डिपार्टमेंट को मशहूर कलाकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की पेंटिंग्स को जारी करने का निर्देश दिया। बता दें कि ये मामला अप्रैल 2023 का है। जब मुंबई के बिजनेसमैन मुस्तफा कराचीवाला के मालिकाना हक वाली फर्म बी के पोलीमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड लंदन से 7 पेंटिंग मुंबई लाई थी। इसके बाद कस्टम विभाग ने इन पेंटिंग को यह कहकर जब्त कर लिया था कि ये पेंटिंग न्यूडिटी को बढ़ावा दे रही हैं।

'14 दिन के अंदर पेंटिंग को करें वापस'

इसके बाद बिजनेसमैन मुस्तफा कराचीवाला की कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया। साथ ही जस्टिस एम एस सोनक और जितेंद्र जैन की बेंच ने कस्टम विभाग अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही उन्होंने कस्टम विभाग से 14 दिन के अंदर पेंटिंग को वापस देने का ऑर्डर दिया।

'पेंटिंग को कैसे माना गया अश्लील'

जानकारी के लिए बता दें कि मुस्तफा कराचीवाला की तरफ से वकील श्रेयस श्रीवास्तव और श्रद्धा स्वरूप ने याचिका दायर की थी। याचिका में सवाल किया गया कि पेंटिंग को अश्लील कैसे माना जा सकता है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कला एक राष्ट्रीय खजाना है जिसे उचित मान्यता दी जानी चाहिए।

'कला और अश्लीलता के बीच नहीं समझा अंतर'

कस्टम विभाग के अधिकारी कला के महत्व को समझने में विफल रहे हैं और कला और अश्लीलता के बीच अंतर करने में विफल रहे हैं। बेंच ने कहा कि सहायक आयुक्त ने केवल इस फैक्ट पर ध्यान दिया कि पेंटिंग्स न्यूड थीं। कोर्ट ने कहा कि हर कोई ऐसी पेंटिंग्स को स्वीकार करने, पसंद करने या उनका आनंद लेने के लिए बाध्य नहीं है।कोर्ट का कहना है कि हर कोई ऐसी पेंटिंग को पसंद करे ये जरूरी भी नहीं है, लेकिन एक सरकारी अधिकारी की व्यक्तिगत राय, पसंद और नापसंद किसी दूसरे पर थोपी नहीं जा सकती।'

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