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'कोई कार्यवाही महज आरोप के आधार पर दूसरे न्यायिक अधिकारी को नहीं सौंप सकते', बांबे HC की अहम टिप्पणी

Bombay HC दालत ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की संस्थापक चारु मेहता और स्थायी ट्रस्टी राजेश मेहता तथा प्रशांत मेहता द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि प्रतिकूल आदेश देना कार्यवाही को किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को सौंपने के अनुरोध का आधार नहीं हो सकता। अनुकूल माहौल नहीं होना हस्तांतरण का आधार नहीं हो सकता।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 11 Nov 2024 05:15 AM (IST)
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Bombay HC बांबे हाईकोर्ट का अहम फैसला।
एजेंसी, मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई कार्यवाही केवल एक पक्ष के आरोप के आधार पर किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को नहीं सौंपी जा सकती। अदालत ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की संस्थापक चारु मेहता और स्थायी ट्रस्टी राजेश मेहता तथा प्रशांत मेहता द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।

लीलावती मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापकों ने की थी मांग

संस्थापकों ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए ट्रस्ट से संबंधित सभी कार्यवाही को चैरिटी आयुक्त से किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। जस्टिस शर्मिला देशमुख की एकल पीठ ने पिछले महीने न्यासियों के बीच विवाद से संबंधित कार्यवाही को चैरिटी आयुक्त से किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को स्थानांतरित करने से इन्कार करते हुए कहा था कि पक्षपात या पूर्वाग्रह की कोई आशंका नहीं है।

प्रतिकूल आदेश देना कार्यवाही को किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को सौंपने के अनुरोध का आधार नहीं हो सकता। अनुकूल माहौल नहीं होना, हस्तांतरण का आधार नहीं हो सकता।

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