Mumbai: 'गंभीर अपराध के मुकदमे में देरी जमानत का आधार नहीं', HC ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार
बांबे हाई कोर्ट ने 15 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कहा कि गंभीर अपराधों के लिए मुकदमे में देरी जमानत देने का आधार नहीं हो सकती है। जस्टिस माधव जामदार की एकल पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि आरोपित पर गंभीर अपराध का आरोप है।
पीटीआई, मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने 15 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कहा कि गंभीर अपराधों के लिए मुकदमे में देरी जमानत देने का आधार नहीं हो सकती है।
आरोपी पर है गंभीर अपराध का आरोप
जस्टिस माधव जामदार की एकल पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि आरोपित पर गंभीर अपराध का आरोप है। इसलिए लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सत्र अदालत को मामले की सुनवाई नौ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया। आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।
2020 में हुई थी गिरफ्तारी
आरोपित सोमनाथ गायकवाड़ की वकील सना रईस खान ने दलील दी थी कि अक्टूबर 2020 में गिरफ्तारी के बाद से वह जेल में बंद है और मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अभी तक आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ आरोप भी तय नहीं किए गए हैं।घटना के समय मात्री इतने वर्ष की थी पीड़िता
मालूम हो कि पुणे पुलिस ने 15 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अक्टूबर 2020 में गायकवाड़ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। याचिकाकर्ता (गायकवाड़) पर आरोप है कि वह सामूहिक दुष्कर्म के अपराध में शामिल है। जब यह घटना घटी, तब पीड़िता की उम्र महज 15 साल थी। इसलिए, लंबी कैद के आधार पर जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है।
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