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Mumbai: 'सम्मानजनक अंतिम संस्कार अन्य मौलिक अधिकारों के समान महत्वपूर्ण', हाई कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?

बॉम्बे हाई कोर्ट(Bombay High Court) ने सोमवार को मुंबई के पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान की मांग संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक मृत व्यक्ति का सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों की तरह ही महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्या लोगों को दफनाने के लिए मंगल ग्रह पर जाना चाहिए।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Tue, 11 Jun 2024 06:00 AM (IST)
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हाई कोर्ट ने पूछा, क्या लोगों को दफनाने के लिए मंगल ग्रह पर जाना चाहिए। (फाइल फोटो)

पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट(Bombay High Court) ने सोमवार को मुंबई के पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान की मांग संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक मृत व्यक्ति का सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों की तरह ही महत्वपूर्ण है।

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्या लोगों को दफनाने के लिए मंगल ग्रह पर जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नवंबर से लेकर अब तक बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) कब्रिस्तान के लिए जमीन नहीं ढूंढ पाई है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने दो वर्ष से अधिक समय से पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान उपलब्ध कराने में उदासीन रवैये के लिए बीएमसी के प्रति नाराजगी जताई।

अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते- कोर्ट

पीठ ने कहा कि मृतकों के सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराना महानगरपालिका का कर्तव्य व दायित्व है और अधिकारी इस संबंध में अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की

कोर्ट ने कहा कि एक मृत व्यक्ति का सभ्य तरीके से और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पाने का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों के बराबर ही महत्वपूर्ण है। कोर्ट गोवंडी उपनगर के तीन निवासियों शमशेर अहमद, अबरार चौधरी और अब्दुल रहमान शाह की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई के पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान की मांग की गई है।

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