बॉम्बे हाई कोर्ट ने नागरिक स्वतंत्रता के लिए गिरफ्तारी-पूर्व जमानत पर जल्द निर्णय लेने का किया आग्रह, दिया निर्देश
शिवसेना नेता म्हात्रे ने हाई कोर्ट में अपील दायर करते दावा किया कि 22 अगस्त को कल्याण सत्र न्यायालय के समक्ष दायर उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि अंतरिम संरक्षण की मांग करने वाले उनके आवेदन पर भी विचार नहीं किया गया है। उन्होंने दावा किया कि सत्र न्यायालय हर बार उनकी याचिका को स्थगित कर रहा है।
पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जब किसी नागरिक की स्वतंत्रता का प्रश्न शामिल हो तो यह जरूरी है कि निचली अदालतें अग्रिम जमानत की मांग करने वाले आवेदनों पर अंतिम रूप से या अंतरिम संरक्षण देने के लिए जल्द-जल्द से विचार करें और निर्णय लें।
पीठ ने कहा कि अलग निचली अदालतें ऐसे मामलों में निर्णय नहीं करती हैं तो हाई कोर्ट पर बोझ बढ़ जाता है। दरअसल, न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने ठाणे के कल्याण की एक निचली अदालत द्वारा शिवसेना (शिंदे गुट) नेता वामन म्हात्रे की अग्रिम जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय नहीं लेने पर नाराजगी जताते हुए ये टिप्पणियां कीं।
महिला पत्रकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप
वामन म्हात्रे पर दो बच्चियों के यौन शोषण को लेकर बदलापुर में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान एक महिला पत्रकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।अग्रिम जमानत याचिका पर अभी सुनवाई नहीं हुई
शिवसेना नेता म्हात्रे ने हाई कोर्ट में अपील दायर करते दावा किया कि 22 अगस्त को कल्याण सत्र न्यायालय के समक्ष दायर उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि अंतरिम संरक्षण की मांग करने वाले उनके आवेदन पर भी विचार नहीं किया गया है।
सत्र न्यायालय हर बार याचिका स्थगित कर रहा
उन्होंने दावा किया कि सत्र न्यायालय हर बार उनकी याचिका को स्थगित कर रहा है और अब इस पर 29 अगस्त को सुनवाई होनी है। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने सत्र न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे म्हात्रे की अर्जी पर 29 अगस्त को ही निर्णय लें।अंतरिम संरक्षण की अर्जी पर विचार करना चाहिए
जस्टिस मार्ने ने कहा, "अग्रिम जमानत अर्जी की स्थिति के बारे में सत्र न्यायाधीश द्वारा 29 अगस्त की शाम को ही हाई कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। जब याचिका किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है तो आदर्श रूप से न्यायालय को कम से कम अंतरिम संरक्षण की मांग करने वाली अर्जी पर विचार करना चाहिए था।"
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