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Mumbai News: बॉम्बे हाई कोर्ट में CBI का हलफनामा, समीर वानखेड़े को राहत देने के आदेश का किया विरोध

समीर वानखेड़े ने गिरफ्तारी से सुरक्षा पाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने आठ जून तक समीर वानखेड़े को गिरफ्तारी से राहत दी थी। हालांकि सीबीआई ने हलफनामा दाखिल कर इसका विरोध किया है।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 07 Jun 2023 03:34 PM (IST)
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बॉम्बे हाई कोर्ट में CBI का हलफनामा, समीर वानखेड़े को राहत देने के आदेश का किया विरोध (फाइल फोटो)

मुंबई, एजेंसी। सीबीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट से एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने के अपने पहले के आदेश को वापस लेने की मांग की है।

समीर वानखेड़े के खिलाफ दर्ज है मामला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले महीने समीर वानखेड़े और चार अन्य के खिलाफ ड्रग्स मामले में आर्यन खान को फंसाने के एवज में कथित रूप से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में FIR दर्ज की थी। हालांकि, बाद में वानखेड़े ने FIR को रद्द करने और किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने दी थी राहत

बॉम्बे हाईकोर्ट की एक अवकाश पीठ ने पिछले महीने वानखेड़े को अंतरिम राहत दी थी और उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था। इससे पहले सीबीआई ने 2 जून को वानखेड़े की याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दायर किया और अंतरिम संरक्षण आदेश वापस लेने और याचिका खारिज करने की मांग की।

अंतरिम राहत का आदेश डालेगा जांच पर प्रभाव- सीबीआई

सीबीआई ने हलफनामे में कहा कि कोई भी अंतरिम राहत का आदेश जांच पर प्रभाव डालेगा। इसलिए सम्मानपूर्वक गुजारिश की जाती है कि याचिकाकर्ता वानखेडे को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम राहत को वापस लिया जाए। सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा 11 मई 2023 को जारी एक लिखित शिकायत के आधार पर वानखेड़े के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

हलफनामे में CBI ने क्या कहा?

हलफनामे में कहा गया है कि सीबीआई द्वारा प्राप्त लिखित शिकायत में संज्ञेय अपराधों का खुलासा हुआ है, इसलिए समीर वानखेड़े के खिलाफ एक नियमित मामला दर्ज किया गया था। इसमें कहा गया है कि एफआईआर में जिन आरोप लगाए गए हैं, वे भ्रष्टाचार के कृत्यों, आपराधिक साजिश और एफआईआर में नामजद आरोपियों द्वारा धमकी देकर जबरन वसूली से संबंधित हैं, जो तत्कालीन एनसीबी के सरकारी कर्मचारी थे।

सीबीआई ने कहा कि मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है और जांच निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से की जा रही है। एजेंसी ने कहा कि मामले को खारिज करने से पहले वानखेड़े के खिलाफ कथित अपराध की गंभीरता पर विचार करना अदालत के लिए उचित है।

हाई कोर्ट में गुरुवार को हो सकती है सुनवाई

सीबीआई ने कहा कि एफआईआर केवल गंभीर से गंभीर मामलों में ही रद्द की जा सकती है, जहां आरोपी के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है। बता दें कि हाई कोर्ट में गुरुवार को वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है। वानखेड़े और मामले के अन्य आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता और रिश्वतखोरी से संबंधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।