Money Laundering Case: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका का सीबीआइ ने किया विरोध
Money Laundering Case बांबे हाई कोर्ट को सीबीआइ ने बताया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार जबरन वसूली और साजिश के गंभीर आरोप हैं। सीबीआइ ने अनिल देशमुख की जमानत याचिका का विरोध करते हुए हलफनामा दायर किया।
By AgencyEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Fri, 11 Nov 2022 03:38 PM (IST)
मुंबई, एजेंसी। Money Laundering Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को बांबे हाई कोर्ट को बताया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और साजिश के गंभीर आरोप हैं। सीबीआइ ने अनिल देशमुख की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपना हलफनामा दायर किया।
न्यायमूर्ति डांगरे ने खुद को अलग किया
प्रेट्र के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लांड्रिंग मामले में और बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया था। पिछले महीने एक विशेष अदालत के जमानत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था। अनिल देशमुख को पिछले महीने ईडी मामले में उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ के समक्ष शुक्रवार को तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए जमानत याचिका का उल्लेख किया गया। हालांकि न्यायमूर्ति डांगरे ने बिना कारण बताए खुद को अलग कर लिया। जमानत याचिका अब हाई कोर्ट की एक और एकल पीठ के समक्ष रखी जाएगी।
सीबीआइ ने हलफनामे में कही ये बात
सीबीआइ के पुलिस उपाधीक्षक मुकेश कुमार द्वारा दायर सीबीआइ के हलफनामे में कहा गया कि आरोप पत्र के साथ प्रस्तुत मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य अपराधों में आवेदक (देशमुख) की आपराधिक संलिप्तता के लिए पर्याप्त है। आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप हैं। सीबीआइ ने अनिल देशमुख की इस दलील का भी विरोध किया कि एक दागी पुलिसकर्मी (सचिन वाझे) द्वारा दिए गए बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सीबीआइ ने कहा कि सचिन वाझे इस मामले में आरोपित थे, अब वह अभियोजन पक्ष के गवाह हैं। सीबीआइ ने कहा कि एक सरकारी गवाह का साक्ष्य अभियोजन पक्ष के गवाह के साक्ष्य के बराबर होता है, जब उसे क्षमा कर दिया जाता है और जमानत के स्तर पर उसे बदनाम नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने अप्रैल, 2021 में सीबीआइ को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।