सरकार के खिलाफ चल रहीं फर्जी खबरों पर दस जुलाई तक नहीं लिया जाएगा फैसला, बॉम्बे HC को केंद्र ने दी जानकारी
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अप्रैल में कामरा की याचिका पर दायर अपने हलफनामे में जोर देकर कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट की भूमिका सिर्फ केंद्र सरकार से जुड़े मामलों तक सीमित है जिनमें नीतियों योजनाओं अधिसूचनाओं नियमों नियामकों और कार्यान्वयन आदि से संबंधित सूचनाएं शामिल हैं।
By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 07 Jun 2023 05:39 PM (IST)
मुंबई, एजेंसी। केंद्र सरकार ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि वह सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ प्रसारित फर्जी खबरों की पहचान के लिए फैक्ट चेक यूनिट को 10 जुलाई तक अधिसूचित नहीं करेगा।
स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल ने दाखिल की याचिका
इससे पहले केंद्र सरकार ने अप्रैल में कोर्ट से कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट को पांच जुलाई तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा। सरकार ने अदालत को यह आश्वासन उस समय दिया था, जब वह स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
आईटी नियमों को दी गई चुनौती
बुधवार को न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ को सूचित किया गया कि नए आईटी नियमों को चुनौती देते हुए दो और याचिकाएं दायर की गई हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिशन ऑफ इंडियन मैग्जीन द्वारा दायर इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि नए नियम मनमाने और असंवैधानिक हैं।तीनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगा कोर्ट
खंडपीठ ने कहा कि वह छह जुलाई से तीनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। उसने कहा, 'हम अंतिम निपटारे के लिए याचिकाओं पर छह जुलाई से सुनवाई करेंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील सात जुलाई तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे, जिसके बाद हम केंद्र सरकार को उसकी दलीलें पेश करने के लिए तारीख देंगे।'
10 जुलाई तक लागू होगा- अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित न किए जाने के संबंध में पहले दिया गया आश्वासन अब 10 जुलाई तक लागू होगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने छह अप्रैल को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधन किए थे।क्या किया संशोधन?
इन संशोधनों के तहत सरकार ने उससे संबंधित फर्जी, झूठी और भ्रामक ऑनलाइन सामग्री की पहचान के लिए एक फैक्ट चेक यूनिट के गठन का प्रावधान भी किया था। तीनों याचिकाओं में उच्च न्यायालय से संशोधित नियमों को असंवैधानिक करार देने और सरकार को इन नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई न करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
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