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Mumbai News: सीजेआइ ने कहा- नागरिकों की स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में हम पर विश्वास करें

सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया में नागरिकों का विश्वास और स्वतंत्रता की रक्षा न्यायपालिका में निहित है जो स्वतंत्रताओं का संरक्षक है। सीजेआइ ने इस बात पर बल दिया कि बार के सदस्य इन उद्देश्यों को निर्भयता से आगे बढ़ाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 17 Dec 2022 08:49 PM (IST)
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सीजेआइ ने कहा- नागरिकों की स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में हम पर विश्वास करें

मुंबई, पीटीआइ। सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया में नागरिकों का विश्वास और स्वतंत्रता की रक्षा न्यायपालिका में निहित है, जो 'स्वतंत्रताओं का संरक्षक' है। सीजेआइ ने इस बात पर बल दिया कि 'बार' के सदस्य इन उद्देश्यों को निर्भयता से आगे बढ़ाते हैं। उनके जीवन में स्वतंत्रता की ज्योति आज भी प्रकाशमान है।

सीजेआइ ने एक चोरी के केस का दिया उदाहरण

वाईबी चव्हाण केंद्र में अशोक एच देसाई स्मारक व्याख्यान देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने चोरी के एक केस का हवाला दिया, जिसमें यदि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो एक व्यक्ति को 18 साल कैद की सजा काटनी पड़ती। उन्होंने कहा कि हमारे नागरिकों की स्वतंत्रता के संरक्षक के तौर पर हम पर विश्वास करें। कार्यक्रम का आयोजन बांबे बार एसोसिएशन ने किया था।

गलत निर्देशों पर सीजेआइ ने डाला प्रकाश

सीजेआइ ने कहा, कल एक मामले में बिजली चोरी को लेकर एक दोषी को सत्र अदालत ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी। अदालत के न्यायाधीश यह कहना भूल गए थे कि सजाएं एक साथ चलेंगी। इसका परिणाम यह हुआ कि बिजली के उपकरण चुराने वाले इस व्यक्ति को 18 साल जेल में रहना पड़ता, सिर्फ इसलिए कि निचली अदालत यह निर्देश नहीं दे सकी कि सजाएं एक साथ चलेंगी।

शुक्रवार को मामले का हुआ था निस्तारण

जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के रहने वाले इकराम नाम के एक व्यक्ति की याचिका का निस्तारण किया था। इकराम को विद्युत अधिनियम से जुड़े नौ आपराधिक मामलों में उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक अदालत ने दोषी करार दिया था। अदालत ने इकराम को प्रत्येक मामले में दो साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलाई जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि न तो निचली अदालत और न ही हाई कोर्ट का ध्यान फैसले की खामी की तरफ गया।

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