Move to Jagran APP

'नहीं पता था यह मामला अनिल देशमुख से भी जुड़ा है', सचिन वाजे की रिहाई याचिका पर सुनवाई से अलग हुईं बॉम्बे HC की जज

भ्रष्टाचार मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की रिहाई की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर दिया है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की थी। हालांकि मंगलवार को न्यायमूर्ति डांगरे ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Tue, 27 Aug 2024 04:46 PM (IST)
Hero Image
सचिन वाजे की रिहाई याचिका पर सुनवाई से अलग हुईं बॉम्बे HC की जज (Image: ANI)
पीटीआई, मुंबई। भ्रष्टाचार मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मंगलवार को पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की रिहाई की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर दिया है। इस मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख भी शामिल हैं।

दरअसल, वाजे इस समय न्यायिक हिरासत में बंद है और जमानत पर रिहा होने की मांग कर रहे है। वाजे ने दावा किया है कि वह इस मामले में सरकारी गवाह है और अन्य सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं। 

क्यों अलग हुई जस्टिस भारती डांगरे

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की थी। इसमें कहा था कि वह पहले अंतरिम जमानत अनुरोध पर आदेश पारित करेगी और फिर याचिका पर अंतिम सुनवाई करेगी। हालांकि, मंगलवार को न्यायमूर्ति डांगरे ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

न्यायमूर्ति डांगरे ने बिना कोई विस्तृत जानकारी दिए कहा, 'मुझे तब यह एहसास नहीं था कि यह मामला अनिल देशमुख से भी जुड़ा है। मैं इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकता।' याचिका अब सुनवाई के लिए दूसरी खंडपीठ के समक्ष रखी जाएगी। वाजे ने अपनी याचिका में कहा कि सरकारी गवाह घोषित किए जाने के बाद भी उन्हें जेल में रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

CBI ने किया था विरोध

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वाजे ने अभी तक मामले में गवाही नहीं दी है और उन्हें जमानत पर रिहा करना मामले के हित में नहीं होगा। पूर्व पुलिसकर्मी को विशेष सीबीआई अदालत ने जून 2022 में सरकारी गवाह घोषित किया था। वाजे को उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास विस्फोटकों से लदे वाहन मिलने और ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए मार्च 2021 में गिरफ्तार किया गया था।

अप्रैल 2021 का है मामला

अप्रैल 2021 में उच्च न्यायालय ने सीबीआई को पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। इस जांच के आधार पर जांच एजेंसी ने देशमुख, उनके सहयोगियों और वाजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

देशमुख पर आरोप

सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस कर्मियों को महानगर के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी होने के बाद पहले निलंबित किए गए वाजे को बहाल कर दिया गया था और वह देशमुख की ओर से पैसे वसूल रहा था। मामले में अन्य आरोपी देशमुख के पूर्व सहयोगी संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे हैं। तीनों जमानत पर बाहर हैं।

यह भी पढ़ें: बॉम्बे हाई कोर्ट ने नागरिक स्वतंत्रता के लिए गिरफ्तारी-पूर्व जमानत पर जल्द निर्णय लेने का किया आग्रह, दिया निर्देश

यह भी पढ़ें: Rajya Sabha Poll: महाराष्ट्र से NCP के नितिन और BJP के धैर्यशील पाटिल राज्यसभा के लिए चुने गए, निर्विरोध निर्वाचित हुए दोनों नेता

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।