एंटीलिया मामले में शिंदे की जमानत याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई, कहा- पैरोल पर गए व्यक्ति के आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की उम्मीद नहीं
Antilia Bomb Case मुंबई के एक विशेष अदालत ने माना है कि एंटीलिया बम कांड और व्यवसायी मनसुख हिरन हत्या मामले में आरोपी पूर्व पुलिसकर्मी विनायक शिंदे के खिलाफ आरोप सही थे और पैरोल पर आए व्यक्ति से आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। शिंदे जो रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
पीटीआई, मुंबई। मुंबई के एक विशेष अदालत ने माना है कि एंटीलिया बम कांड और व्यवसायी मनसुख हिरन हत्या मामले में आरोपी पूर्व पुलिसकर्मी विनायक शिंदे के खिलाफ आरोप सही थे और पैरोल पर आए व्यक्ति से "आपराधिक गतिविधि में शामिल होने" की उम्मीद नहीं की जा सकती थी।
रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शिंदे फरवरी 2021 में एंटीलिया बम मामले के समय पैरोल पर थे। विशेष एनआईए न्यायाधीश ए. एम. पाटिल ने 20 जनवरी को एंटीलिया बम मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध हुआ।
शिंदे पर आरोप को लेकर अदालत ने कही यह बात
अदालत ने कहा कि शिंदे पर आरोप हैं कि उन्होंने जबरन वसूली की रकम एकत्र करने और फर्जी सिम कार्ड हासिल करने में पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाझे की मदद की थी। न्यायाधीश ने कहा, “इस समय यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश में शामिल होने) के तहत अपराध के दोषी नहीं है।”
पैरोल पर गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए
अदालत ने कहा, ‘आवेदक (शिंदे) ने पैरोल पर रिहाई के बाद ऐसा किया, जिससे उनका कृत्य और गंभीर हो गया। पैरोल पर रिहा हुए व्यक्ति से आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जाती। उम्मीद की जाती है कि उसे गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। इसलिए, आवेदक को समानता के लाभ के मामले में अन्य आरोपियों के समान नहीं माना जा सकता।”