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समीर वानखेड़े की गिरफ्तारी की जिद पर अड़ी CBI को कोर्ट की फटकार, हाई कोर्ट ने कहा- लुका-छिपी का खेल न खेलें

नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की गिरफ्तारी पर अड़ी सीबीआइ को बॉंबे हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है। सीबीआइ के वकील कुलदीप पाटिल ने कहा कि आरोपित की गिरफ्तारी एजेंसी का विशेष अधिकार है। पाटिल की मांग पर जस्टिस एएस.गडकरी एवं एसजी. डिगे ने सीबीआइ से सवाल किया कि क्या वह इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि गिरफ्तारी जरूरी है ?

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Sat, 24 Jun 2023 12:05 AM (IST)
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जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की गिरफ्तारी पर अड़ी सीबीआइ को बॉंबे हाई कोर्ट ने फटकार लगाई।(फोटो सोर्स: जागरण)

राज्य ब्यूरो, मुंबई। आर्यन खान गिरफ्तारी मामले में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की गिरफ्तारी पर अड़ी सीबीआइ को शुक्रवार को बॉंबे हाई कोर्ट की फटकार सुननी पड़ी ।

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की पीठ ने सीबीआइ से कहा,"आप लुका-छिपी का खेल न खेलें। आप हमें यह बताने से क्यों कतरा रहे हैं कि वानखेड़े की गिरफ्तारी क्यों आवश्यक है ? एनसीबी की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआइ ने वानखेड़े के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है। लेकिन अभी उसे वानखेड़े की गिरफ्तारी का मौका नहीं मिला है, क्योंकि वानखेड़े ने अपने वकीलों के जरिये हाई कोर्ट से अब तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्राप्त कर रखा है।

पीठ ने सीबीआइ से पूछे सवाल

इसी सिलसिले में शुक्रवार को सीबीआइ के वकील कुलदीप पाटिल ने कहा कि आरोपित की गिरफ्तारी एजेंसी का विशेष अधिकार है। पाटिल की मांग पर जस्टिस एएस.गडकरी एवं एसजी. डिगे ने सीबीआइ से सवाल किया कि क्या वह इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि गिरफ्तारी जरूरी है ?

पीठ ने कहा कि जब सीबीआइ सीआरपीसी की धारा 41ए (आरोपित को बयान के लिए पेश होने का निर्देश) के तहत आरोपित को पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है, और आरोपित सात बार उसके सामने हाजिर भी हो चुका है, तो उसकी गिरफ्तारी क्यों जरूरी है ?

इस मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी एजेंसी: सीबीआइ

पीठ ने कहा कि सीबीआइ की दलीलें पीठ के मन में संदेह पैदा कर रही हैं। इसके बाद पीठ ने सीबीआइ को जांच में प्रगति दिखाने के लिए सुनवाई की अगली तारीख 28 जून को केस डायरी प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए। पीठ ने कहा कि एक बार 41ए के तहत नोटिस दिए जाने का मतलब है कि गिरफ्तारी का कोई इरादा नहीं है। बता दें कि सीबीआइ के वकील ने कहा कि एजेंसी अभी तक इस मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है।

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