महाराष्ट्र के रायगढ़ में पहाड़ धसकने से मरने वालों की संख्या हुई 22, प्रभावितों के पुनर्वास की हो रही तैयारी
एनडीआरएफ टीडीआरएफ (ठाणे डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) एवं स्थानीय पुलिस और कुछ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बचाव एवं राहत कार्य चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त गांव के लोगों की अस्थायी आवासीय व्यवस्था के लिए कंटेनर्स की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा ग्रामवासियों की मांग के अनुसार उनके स्थायी पुनर्वास के लिए भी उसी क्षेत्र में सुरक्षित स्थान की तलाश की जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई: रायगढ़ के इर्शालवाड़ी गांव में बुधवार रात पहाड़ धसकने से मरने वालों की संख्या 22 हो गई है। अब तक 100 लोगों को बचाया गया है और 108 अब भी लापता हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में जानकारी दी कि खराब मौसम के बावजूद दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी है।
एनडीआरएफ, टीडीआरएफ (ठाणे डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) एवं स्थानीय पुलिस और कुछ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बचाव एवं राहत कार्य चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के अनुसार, दुर्घटनाग्रस्त गांव के लोगों की अस्थायी आवासीय व्यवस्था के लिए कंटेनर्स की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा ग्रामवासियों की मांग के अनुसार उनके स्थायी पुनर्वास के लिए भी उसी क्षेत्र में सुरक्षित स्थान की तलाश की जा रहा है।
शहर एवं औद्योगिक विकास महामंडल (सिडको) को गांव वालों के लिए स्थायी आवास बनाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, राज्य में ऐसे अन्य गांवों का भी पता लगाया जा रहा है, जहां इर्शालवाड़ी जैसे पहाड़ धसकने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। ऐसे गांवों के भी पुनर्वास की योजना बनाई जाएगी।
बचाव कार्य बंद करने का निर्णय ले सकता है प्रशासन
एनडीआरएफ एवं स्थानीय प्रशासन से जुड़े अन्य सूत्रों के अनुसार, दुर्घटनास्थल पर मलबे के नीचे इंसानों एवं जानवरों के दबे होने के कारण शवों के सड़ने की शुरुआत हो चुकी है। वहां फैली भारी दुर्गंध के कारण बचाव कार्य भी मुश्किल हो रहा है। चूंकि दुर्घटनास्थल पर किसी भी प्रकार की मशीन का पहुंचना संभव नहीं है, इसलिए बचाव कार्य हाथ से ही किया जा रहा है।
रायगढ़ के जिलाधिकारी योगेश म्हासे के अनुसार इस स्थान पर बचाव कार्य आगे बढ़ाने में मुश्किलें ज्यादा आ रही हैं। बचाव कार्य में लगी टीमों की सुरक्षा भी महत्त्वपूर्ण है। इसलिए सभी पहलुओं पर विचार करके निर्णय किया जाएगा कि बचाव कार्य जारी रखना जाए या रोक दिया जाए।