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Maharashtra: माथेरान में हाथ रिक्शा के बजाय चलेंगे ई-रिक्शा, लोगों को पसंद आई इको-फ्रेंडली सवारी

माथेरान नगर परिषद द्वारा शहर में तीन महीने के लिए ई-रिक्शा पायलट प्रोजेक्ट शुरू की गई थी। इस परियोजना को लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। स्कूल जाने वाले बच्चे बुजुर्ग और पर्यटक सभी लोग ई-रिक्शा को पसंद कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 20 Feb 2023 07:42 PM (IST)
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राज्य सरकार जल्द ही उच्चतम न्यायालय को यहां ई-रिक्शा चलाने के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

मिडडे, मुंबई। महाराष्ट्र राज्य के माथेरान हिल स्टेशन की सड़कों पर जल्द ही हाथ रिक्शा के बजाय ई-रिक्शा चलेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां ई-रिक्शा चलाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था। स्थानीय नगर परिषद द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट को सकारात्मक मिलने के बाद उम्मीद है कि यहां ई-रिक्शा चलाने को मंजूरी मिलेगी। राज्य सरकार जल्द ही उच्चतम न्यायालय को यहां ई-रिक्शा चलाने के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। माथेरान के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में होने के कारण यहां वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है।

बता दें कि माथेरान नगर परिषद द्वारा शहर में तीन महीने के लिए ई-रिक्शा पायलट प्रोजेक्ट शुरू की गई थी। इस परियोजना को लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग और पर्यटक सभी लोग ई-रिक्शा को पसंद कर रहे हैं। 5 दिसंबर 2022 से 17 फरवरी 2023 तक कुल 43499 स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इस सेवा का उपयोग किया।

माथेरान में ब्रिटिश काल से चल रहा हाथ रिक्शा

उल्लेखनीय है कि माथेरान में ब्रिटिश काल से ही शहरी परिवहन के लिए हाथ रिक्शा का उपयोग किया जा रहा है। शहर में ई-रिक्शा चलाने के मुहिम छेड़ने वाले सुनील शिंदे ने बताया कि हाथ रिक्शा चूंकि चलाने में मुश्किल और अमानवीय है, इसलिए श्रमिक रिक्शा संगठन ने इको फ्रेंडली ई रिक्शा की अनुमति देने का अनुरोध किया लेकिन ईको सेंसिटिव जोन अधिसूचना में वाहन नहीं चलाए जाने का प्रावधान होने के कारण उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेना जरूरी है।

इसके बाद उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई। न्यायालय ने पायलट परियोजना की अनुमति दी ताकि यह पता चल सके कि तीव्र ढ़लान वाली सड़कों के लिए ई-रिक्शा का कौन सा मॉडल उपयुक्त है।

शहर के अनुकूल आदर्श और उपयुक्त मॉडल तलाशा

बता दें कि दो महीने के परीक्षण के बाद विभिन्न ई-रिक्शा मॉडलों में से शहर के अनुकूल आदर्श और उपयुक्त मॉडल तलाशा गया है। राज्य सरकार अब उच्चतम न्यायालय को व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसके बाद माथेरान ईएसजेड अधिसूचना में संशोधन किया जाएगा और शहरी परिवहन के लिए ई-रिक्शा की अनुमति दी जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों ने भी इस परियोजना की सराहना की है।

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