चुनाव आयोग ने शरद गुट को दी बड़ी राहत, अन्य दल अब नहीं बजा सकेंगे 'तुरही'; जानें क्या है मामला
चुनाव आयोग ने एनसीपी शरद गुट की मांग को मानते हुए उसके जैसे दिखने वाले चुनाव चिन्हों पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि पार्टी ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए चिन्हों का इस्तेमाल किया था जिसका नुकसान उन्हें हालिया लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। इसके बाद पार्टी ने चुनाव आयोग में इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। चुनाव आयोग ने शरद पवार की पार्टी राकांपा (शपा) के चुनाव चिह्न ‘तुरही बजाता आदमी’ के समान दिखनेवाले चुनाव चिह्नों को चुनाव चिह्न सूची से हटाने का निर्णय किया है। यह निर्णय राकांपा (शपा) की मांग पर किया गया है। राकांपा (शपा) ने इसके लिए चुनाव आयोग के प्रति आभार जताया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शपा) ने शुक्रवार को भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'पिपिहरी' और 'तुरही' चुनाव चिह्नों पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के बीच इनके बारे में भ्रम पैदा किया, जिससे शरद पवार नीत पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
भाजपा ने किया दुरुपयोग: NCP (SP)
राकांपा (शपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने एक बयान में कहा है कि हम राज्य चुनाव आयोग के आभारी हैं। सत्य की जीत हुई है। भाजपा ने हमारे मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए ‘तुरही’ के चिह्न का दुरुपयोग किया। लोग हमारे 'तुरही बजाता आदमी' चिह्न और ‘तुरही’ चिह्न के बीच भ्रमित थे, जिसके कारण सातारा लोकसभा क्षेत्र में हमारे उम्मीदवार शशिकांत शिंदे हार गए। क्योंकि मतदाताओं ने तुरही के चिह्न को यह समझकर दबा दिया कि यह राकांपा (शपा) का चिह्न है।सतारा में शिंदे, भाजपा के उदयनराजे भोसले से 32,771 मतों से हार गए। तुरही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने वाले एक स्वतंत्र उम्मीदवार को 37,062 वोट मिले, जो जीत के अंतर से ज्यादा थे। लोकसभा चुनाव के बाद राकांपा (शपा) ने चुनाव आयोग से इन समान दिखने वाले प्रतीकों को हटाने की मांग की थी।
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