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Maharashtra Election 2024: कभी कांग्रेस का गढ़ रहा, अब चाचा-भतीजा का 'पानीपत' बनेगा पश्चिम महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को लेकर महाराष्ट्र में माहौल गर्म हो गया है। वहीं ज्यादा चर्चा पश्चिम महाराष्ट्र की हो रही है। यहां मुख्य टक्कर चाचा शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच ही देखने को मिलेगी। इसके बाद अधिसंख्य सीटों पर कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से और शिवसेना का शिवसेना (यूबीटी) से होगा।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Tue, 22 Oct 2024 11:45 AM (IST)
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चाचा-भतीजा का 'पानीपत' बनेगा पश्चिम महाराष्ट्र (फोटो- जागरण)

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चीनी कारखानों की बहुलता वाले पश्चिम महाराष्ट्र में मुख्य टक्कर चाचा शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच ही देखने को मिलेगी। इसके बाद अधिसंख्य सीटों पर कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से और शिवसेना का शिवसेना (यूबीटी) से होगा।

पश्चिम महाराष्ट्र कांग्रेस का पुराना मजबूत गढ़ रहा है। वसंत दादा पाटिल, यशवंतराव चव्हाण, विट्ठलराव विखे पाटिल, शरद पवार जैसे दिग्गज नेता इसी क्षेत्र की देन हैं। स्वतंत्र भारत में सहकारिता आंदोलन की स्थापना करने एवं उसे परवान चढ़ाने का श्रेय भी इसी क्षेत्र को जाता है। महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में छह जिले पुणे, सातारा, सांगली, कोल्हापुर, सोलापुर और अहमदनगर आते हैं।

अहमदनगर का कुछ हिस्सा उत्तर महाराष्ट्र से लगा हुआ है, लेकिन इसकी गिनती पश्चिम महाराष्ट्र में ही होती है। 1999 में शरद पवार के कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाने के बाद इस क्षेत्र पर कांग्रेस से भी ज्यादा पवार की पकड़ मजबूत हो गई। 2009 तक तो इस पूरे क्षेत्र में इन दोनों दलों के अलावा किसी और दल की दाल गलती दिखाई नहीं देती थी। लेकिन उसके बाद भाजपा ने धीरे-धीरे पश्चिम महाराष्ट्र में अपनी पैठ बनाई।

2019 के विधानसभा चुनाव में भी पश्चिम महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा का ही पलड़ा भाई रहा था। तब की अविभाजित राकांपा को 27 एवं कांग्रेस को 12 सीटें प्राप्त हुई थीं। भाजपा को 20 एवं अविभाजित शिवसेना को पांच सीटें मिली थी। बड़े दलों के बीच इस क्षेत्र में स्थानीय छत्रपों की भी अच्छी चलती है। पिछले चुनाव में भी इस क्षेत्र से चार निर्दलीय और दो अलग-अलग छोटे दलों के विधायक जीतकर आए थे।

करीब सवा साल पहले राकांपा नेता अजीत पवार के अपने चाचा शरद पवार से बगावत करने के बाद अचानक इस क्षेत्र की राजनीति के समीकरण भी बदलते दिखाई दिए। चूंकि पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा विधायक अजीत पवार के साथ चले जाने से लगने लगा था कि चाचा शरद पवार की राजनीति समाप्त हो गई है। लेकिन राजनीति के मंजे खिलाड़ी शरद पवार ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना राजनीतिक कौशल दिखाया, और बारामती संसदीय क्षेत्र से अपनी पुत्री सुप्रिया सुले को चौथी बार जितवाने में सफल रहे।

उन्होंने पूरे राज्य में अपनी पार्टी को 10 सीटें लड़वाकर आठ पर जीत हासिल की। उनका स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा रहा। यही कारण है कि अब आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी राकांपा (शरदचंद्र पवार) से टिकट मांगनेवालों की संख्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है। अन्य दलों से उनकी पार्टी में जानेवालों की संख्या भी बहुतायत में है। भाजपा के हर्षवर्द्धन पाटिल एवं समरजीत सिंह घाटगे जैसे नेता भी शरद पवार की पार्टी में जा चुके हैं।

हाल के लोकसभा चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र में कांग्रेस को उसके एक बागी (अब कांग्रेस में शामिल) सहित तीन, राकांपा (शरदचंद्र पवार) को चार, भाजपा को दो, शिवसेना को दो एवं शिवसेना (यूबीटी) को एक सीट हासिल हुई है।

अजीत पवार का तो पश्चिम महाराष्ट्र में खाता भी नहीं नहीं खुला था। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में चूंकि उनके साथ आए ज्यादातर विधायक पश्चिम महाराष्ट्र के हैं, इसलिए उनके हिस्से में ज्यादातर सीटें भी पश्चिम महाराष्ट्र की ही आ रही हैं। उन्हें मिलनेवाली अतिरिक्त सीटें भी इसी क्षेत्र की होंगी। इसलिए तय है कि उनका सीधा मुकाबला इस बार भी राजनीति की सभी कलाओं के माहिर अपने चाचा शरद पवार से ही होगा। यहां तक कि शरद पवार ने अजीत पवार का दांव उन्हीं पर मारते हुए इस बार अजीत पवार के बारामती विधानसभा क्षेत्र से अजीत पवार के सगे भतीजे युगेंद्र पवार को टिकट देने का मन बना लिया है।

लोकसभा चुनाव के बाद अजीत पवार अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के विरुद्ध अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाने के लिए कई बार अफसोस जता चुके हैं। लेकिन अब तो तीर हाथ से निकल चुका है। इसलिए शरद पवार न सिर्फ अजीत पवार और उनके अन्य उम्मीदवारों, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के भी उम्मीदवारों की नकेल कसने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन महायुति एवं विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी की सीधी लड़ाई में अब कुछ छोटे दलों को मिलाकर बनाए गए तीसरे गठबंधन ‘महाशक्ति परिवर्तन’ का भी मुख्य क्षेत्र पश्चिम महाराष्ट्र ही है।

इसके दो नेता छत्रपति संभाजीराजे एवं किसान नेता राजू शेट्टी का प्रभाव क्षेत्र भी यही है। इस गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार घोषित करने शुरू कर दिए हैं। लेकिन अभी नहीं कहा जा सकता कि इसके उम्मीदवार किसे नुकसान पहुंचाएंगे।

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