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जाल में फंसी 30 किलो की 'घोल'.. यूं चमकी दो भाइयों की किस्मत

मुंबई के पालघर में दो मछुआरे भाइयों के जाल में घोल मछली फंस गई, जिसने उन्हें एक दिन में ही लखपति बना दिया।

By Arti YadavEdited By: Updated: Wed, 08 Aug 2018 11:52 AM (IST)
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जाल में फंसी 30 किलो की 'घोल'.. यूं चमकी दो भाइयों की किस्मत
मुंबई (एजेंसी)। एक मछली ने मुंबई के दो मछुआरे भाइयों को एक ही दिन में लखपति बना दिया। शायद उन भाइयों को भी अंदाजा नही था कि उनकी किस्मत इस तरह बदलने वाली है। वह रोज की तरह पालघर समुद्रतट पर मछलियां पकड़ने गए थए और किस्मत से उनके जाल में घोल मछली फंस गई। जब वे मछली को बाजार में बेचने गए तो वह 5.5 लाख में बिकी। आस-पास के लोगों के अनुसार बहुत दिनों के बाद यहां किसी को घोल मछली मिली।

मुंबई का मछुआरा महेश अपने भाई के साथ शुक्रवार को मछली पकड़ने गया था। मुर्बे तट पर उनको अपना जाल भारी लगा। जब उन्होंने देखा तो पाया कि उनके जाल में घोल मछली फंसी थी। मछली का वजन लगभग 30 किलोग्राम था। महेश और उनके भाई द्वारा पकड़ी गई घोल फिश की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। सोमवार को मछली को बेचने के लिए बोली लगाई गई। मछली को खरीदने के लिए व्यापारियों की लंबी लाइन लगी थी। यह बोली बीस मिनट तक चली और और मछली को 5.5 लाख रुपये में एक व्यापारी ने खरीद लिया।

जानिए क्यों खास हैं यह मछली

घोल मछली खाने में स्वादिष्ट तो होती ही है। इस मछली में चमत्कारी औषधीय गुण पाए जाते हैं जिसके कारण पूर्वी एशिया में इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। यहां तक कि घोल (ब्लैकस्पॉटेड क्रॉकर, वैज्ञानिक नाम प्रोटोनिबा डायकांथस) को 'सोने के दिल वाली मछली' के रूप में भी जाना जाता है। बाजार में अलग-अलग मछली की अलग-अलग कीमतें होती हैं। रविवार को मछुआरे महेश ने उसे सबसे ऊंची कीमत पर बेचा।

यह मछली मुख्यत: सिंगापुर, मलयेशिया, इंडोनेशिया, हॉन्ग-कॉन्ग और जापान में निर्यात की जाती है। घोल मछली जो सबसे सस्ती होती है उसकी कीमत भी 8,000 से 10,000 तक होती है।' मई में भायंदर के एक मछुआरे विलियम गबरू ने यूटान से एक मंहगी घोल पकड़ी थी। वह मछली 5.16 लाख रुपये में बिकी थी।

दवाइयों और कॉस्मेटिक में घोल मछली का उपयोग

घोल मछली का उपयोग दवाई निर्माता कंपनी भी करती हैं। इसकी स्किन में उच्च गुणवत्ता वाला कोलेजन (मज्जा) पाया जाता है। इस कोलेजन को दवाओं के अलावा क्रियाशील आहार, कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने में प्रयोग किया जाता है। बीते कुछ वर्षों में इन सामग्री की वैश्विक मांग बढ़ रही है। यहां तक कि घोल का महंगा कमर्शल प्रयोग भी होता है। उदाहरण के तौर पर मछली के पंखों को दवा बनाने वाली कंपनियां घुलनशील सिलाई और वाइन शुद्धि के लिए इस्तेमाल करती हैं।

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