गैंगस्टर अबू सलेम को तलोजा से नासिक जेल भेजा गया, कई मामलों में भुगत रहा आजीवन कारावास
गैंगस्टर अबू सलेम को तलोजा जेल से स्थानांतरण के खिलाफ उसकी याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले ही गुरुवार को उसे भारी सुरक्षा के बीच तलोजा से नासिक जेल स्थानांतरित कर दिया गया। 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किए गए सलेम को 1993 के मुंबई के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया है और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। गैंगस्टर अबू सलेम को तलोजा जेल से स्थानांतरण के खिलाफ उसकी याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले ही गुरुवार को उसे भारी सुरक्षा के बीच तलोजा से नासिक जेल स्थानांतरित कर दिया गया। 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किए गए सलेम को 1993 के मुंबई के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया जा चुका है और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा उसे बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के लिए भी दोषी ठहराया जा चुका है।
अबू सलेम को नई मुंबई की तलोजा जेल के अति सुरक्षित बैरक में रखा गया था। उस बैरक की मरम्मत का काम होना है, इसलिए जेल प्रशासन ने उसे तलोजा जेल से नासिक केंद्रीय कारागर भेजने का निर्णय किया था। इस स्थानांतरण के विरुद्ध अबू सलेम ने मुंबई उच्चन्यायालय में एक याचिका दायर की थी। उसने अपनी याचिका में कहा है किसी अन्य जेल में भेजे जाने पर उसे विरोधी गिरोहों से जान का खतरा हो सकता है।
अबु सलेम पर तलोजा जेल में दो बार हमला हो चुका है
उसने एक और कारण दिया था कि उसके दो मामले दिल्ली की अदालतों में चल रहे हैं। उनकी पेशी के लिए उसे दिल्ली जाना पड़ता है। नई मुंबई से नासिक जाने पर उसकी दिल्ली की यात्राओं में बाधा आएगी, और उसके वहां के मुकदमों में देरी हो सकती है। उसने कोर्ट से अपील की थी कि उसे तलोजा जेल की ही किसी अन्य बैरक में स्थानांतरित कर दिया जाए। बता दें तलोजा जेल में भी उस पर दो बार हमला हो चुका है।बुधवार को सलेम द्वारा दायर अपील को न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन न्यायमूर्ति गोखले ने सलेम की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
सलेम को पहले ही तलोजा जेल से नासिक स्थानांतरित किया जा चुका
गुरुवार को को सुबह साढ़े दस बजे जब यह याचिका न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई, तो पीठ ने कहा कि उसे इस मामले की सुनवाई करने का काम नहीं मिला है। तब सलेम के वकील ने रजिस्ट्री से अनुमति लेने और फिर न्यायमूर्ति डांगरे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी। लेकिन शाम को न्यायमूर्ति डांगरे की बेंच को बताया गया कि सलेम को पहले ही तलोजा जेल से नासिक स्थानांतरित किया जा चुका है। अब वकील ने याचिका में संशोधन करने और स्थानांतरण को ही चुनौती देने की अनुमति मांगी है।अबू सलेम की याचिका में तर्क दिया गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 (जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है) दोषियों पर भी लागू होता है, और इसे संविधान का हृदय और आत्मा माना जाता है। याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र की अन्य जेलों में छोटा शकील और छोटा राजन गिरोह जैसे विभिन्न गिरोहों से जुड़े कई आरोपी बंद हैं।
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