Navratri 2022: मां ब्रह्मचारिणी का नाम कैसे पड़ा उमा, जिनकी तपस्या से तीनों लोकों में मच गई थी त्राहि-त्राहि
Navratri 2022 नवरात्र के दूसरे दिन देवी (Second Day of Navratri) ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmcharini Puja)की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रखती हैं और सफेद वस्त्र धारण करती हैं।
By Babita KashyapEdited By: Updated: Mon, 26 Sep 2022 01:29 PM (IST)
मुंबई, जागरण आनलाइन डेस्क। Maa Brahmcharini Puja: नवरात्र के दूसरे दिन (Second day of Navratri) देवी ब्रह्मचारिणी ( Maa Brahmcharini) की पूजा की जाती है। माता का यह रूप तपस्विनी का है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्या करने वाली। इनका रूप बहुत ही उज्ज्वल और भव्य है।
इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। इनकी पूजा करने से तप, संयम, त्याग और पुण्य जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रखती हैं और सफेद वस्त्र धारण करती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता, उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर
मां ब्रह्मचारिणी का पवित्र मंदिर (Maa Brahmcharini Temple) वाराणसी (Varansi) में स्थित है। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। नवरात्र के दिनों में यहां दर्शनों के लिए भक्तों की काफी भीड़ रहती है। मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का ही दूसरा रूप हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि नवरात्रि में यहां आने वाले श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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