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'हम खुद को बच्चे से जोड़ नहीं पा रहे', गोद लिए नाबालिग को वापस करने के लिए दंपती ने की अपील; बॉम्बे HC ने रद्द किया अडॉप्शन

गोद लेने वाले दंपती ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक अपील दायर करते हुए कहा कि हम भावनात्मक रूप से बच्चे के साथ खुद को नहीं जोड़ पाए हैं इसलिए हम बच्चे को वापस करना चाहते हैं। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि 17 अगस्त 2023 को पारित गोद लेने के आदेश रद्द कर देना ही बच्चे के हित में होगा।

By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Mon, 05 Feb 2024 12:22 PM (IST)
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द किया नाबालिग बच्चे का अडॉप्शन (फाइल फोटो)
पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के हक में फैसला सुनाते हुए, एक नाबालिग लड़के के गोद लेने आदेश को रद्द कर दिया है। दरअसल, याचिकाकर्ता दंपती ने कोर्ट में अपील की थी कि वह लोग नाबालिग बच्ची से अपना रिश्ता नहीं बना पा रहे हैं, जिसके बाद कोर्ट ने उनके हक में फैसला लिया।

बच्चे से नहीं हुआ भावनात्मक जुड़ा

न्यायमूर्ति आर आई चागला की एकल पीठ ने पिछले महीने दिसंबर 2023 में बाल आशा ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया है। दरअसल, गोद लेने वाले माता-पिता ने बच्चे के अनियंत्रित बुरे व्यवहार और आदतों के बारे में ट्रस्ट से शिकायत की थी।

बच्चे के हित में सुनाया फैसला

हाई कोर्ट ने कहा कि 17 अगस्त, 2023 को पारित गोद लेने के आदेश रद्द कर देना ही बच्चे के हित में होगा। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) को जल्द से जल्द बच्ची को दोबारा गोद लेने के लिए फिर से पंजीकृत करने का भी निर्देश दिया है।

ट्रस्ट ने गोद लेने वाले माता-पिता को बच्चे के व्यवहार संबंधी मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने और उन कथित चिंताओं को दूर करने के लिए उपचारात्मक उपाय करने के लिए परामर्श सत्र लेने की सलाह भी दी थी। संबंधित अधिकारियों - CARA, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण, जिला बाल संरक्षण इकाई और विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी को भी दत्तक माता-पिता द्वारा बच्चे को रखने और उसकी देखभाल करने में असमर्थता के बारे में सूचित किया गया था।

दत्तक माता-पिता ने ट्रस्ट की सलाह के अनुसार दो परामर्श सत्रों में भाग लिया। याचिका में कहा गया है कि काउंसलर ने पाया कि गोद लेने वाले माता-पिता का बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव नहीं हो पाया है। हालांकि बच्चे का गोद लेने वाले माता-पिता और उनकी सात वर्षीय जैविक बेटी के प्रति लगाव रहा है।

दंपती को लौटाए जाएंगे दो लाख रुपये

गोद लेने वाले माता-पिता ने अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि, "हम भावनात्मक रूप से बच्चे के साथ खुद को नहीं जोड़ पाए हैं, इसलिए हम बच्चे को वापस करना चाहते हैं।" हाई कोर्ट की पीठ ने गोद लेने के आदेश को रद्द करने का आदेश देने के साथ ही यह भी कहा कि गोद लेने वाले माता-पिता ने बच्चे के बेहतरी के लिए जो 2 लाख रुपये खर्च किए थे, वह भी वापस कर दिए जाएंगे।

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अदालत ने गोद लेने वाले माता-पिता को भी आदेश दिया है कि वे याचिकाकर्ता-संस्था को बच्चे से संबंधित सभी मूल रिपोर्ट और दस्तावेज तुरंत लौटाएं।

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