Nanded Hospital Deaths: नांदेड़ अस्पताल में हुई मौत मामले पर सुनवाई शुरू, हाई कोर्ट ने रिक्त पदों पर उठाए सवाल
बीते दिनों महाराष्ट्र के एक सरकारी अस्पताल में करीब 30 लोगों की मौत होने का मामला सामने आया था। जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार पर विपक्ष ने हमला बोला था और कांग्रेस प्रमुख खरगे ने भी मामले की जांच की मांग की थी। वहीं अब हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पताल पर कई सवाल उठाए हैं।
एएनआई, नांदेड़ (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के नांदेड़ अस्पताल (Nanded Hospital Deaths) में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 12 नवजात शिशुओं सहित लगभग 30 लोगों की मौत का मामला सामने आया था।
वहीं, अब इस मामले क लेकर नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है। महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
Bombay High Court has started hearing in the Nanded hospital deaths matter. Advocate General Birendra Saraf is representing the Government of Maharashtra. pic.twitter.com/rALqzEtFNx— ANI (@ANI) October 6, 2023
मरीजों को आखिरी स्टेज में लाया गया अस्पताल- सरकारी वकील
महाराष्ट्र सरकार के वकील एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कहा कि ज्यादातर मरीजों को आखिरी स्टेज में सरकारी अस्पताल लाया गया। सरकारी अस्पतालों में बहुत दबाव है और कर्मचारियों की कमी है और उन मौतों के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। सीएम खुद हालात पर नजर बनाए हुए हैं। आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जी रही है।
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा कि मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के 97 स्वीकृत पद हैं लेकिन फिलहाल वहां सिर्फ 49 ही तैनात हैं। आप उसके बारे में क्या कहेंगे?
इस सवाल का जवाब देते हुए महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार का स्वास्थ्य सेवा विभाग रिक्तियों (nanded hospital deaths 2023) को लेकर सकारात्मक है और इन्हें नवंबर तक भर दिया जाएगा।
हाई कोर्ट ने दवाओं की अनुपलब्धता पर उठाए सवाल
हाई कोर्ट ने मेडिसिन प्रोक्योरमेंट बोर्ड के सीईओ की अनुपलब्धता पर भी सवाल उठाए।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एजी ने कहा कि एक व्यक्ति के पास अतिरिक्त प्रभार है।
एचसी ने कहा कि दवा खरीद बोर्ड का एक पूर्णकालिक और स्वतंत्र सीईओ होना चाहिए।
HC ने पारित किया आदेश
हाई कोर्ट नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मामले में महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट को अपने आदेश में लेते हुए आदेश पारित कर रहा है। एचसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मरीज बच नहीं सके क्योंकि उन्हें निजी अस्पतालों द्वारा बहुत देर से रेफर किया गया था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी दवाएं और अन्य आपूर्तियां उपलब्ध थीं और प्रोटोकॉल के अनुसार प्रशासित की गईं। रिपोर्ट चिकित्सा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नांदेड़ मेडिकल कॉलेजों में अधिक जनशक्ति और एक नए एनआईसीयू की आवश्यकता को रेखांकित करती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 97 पदों में से केवल 49 ही भरे हुए हैं।
डीन और डॉक्टरों के खिलाफ दर्जा हुआ था केस
महाराष्ट्र के नांदेड़ अस्पताल में बीते दिनों कई लोगों की मौत की खबर सामने आई थी। इस मामले में अब डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डिलीवरी विभाग के डीन और डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, उनके खिलाफ IPC की धारा 304 और 34 के तहत FIR दर्ज की गई है।
दवाओं की कमी के कारण हुई लोगों की मौत
कथित तौर पर दवाओं की कथित कमी के कारण सरकारी मेडिकल कॉलेज (nanded hospital news) और अस्पताल में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई।
30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच नवजात शिशुओं सहित कुल 24 मरीजों की मौत की सूचना मिली थी, जबकि मंगलवार को सात और मौतें हुईं।
मृत मरीजों के रिश्तेदारों ने अस्पताल अधिकारियों पर दवाओं की कमी और लापरवाही का आरोप लगाया है।
कांग्रेस प्रमुख खरगे ने की मामले की जांच की मांग
मंगलवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने मामले की विस्तृत जांच की मांग करते हुए कहा कि यह घटना "बेहद दर्दनाक, गंभीर और चिंताजनक" है।
दो महीने पहले ठाणे में हुई इसी तरह की घटना को याद करते हुए खड़गे ने कहा कि 18 मरीजों की जान चली गई और ऐसी दुर्घटनाएं राज्य सरकार की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठाती हैं।
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