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ToolKit Case: टूलकिट मामले की आरोपी निकिता जैकब को कोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर 3 हफ्ते की रोक

ToolKit Case टूलकिट मामले की संदिग्ध आरोपी निकिता जैकब की याचिका पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) सुनवाई के दौरान कोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने 3 सप्‍ताह की राहत देते हुए ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2021 12:47 PM (IST)
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बॉम्बे हाईकोर्ट आज निकिता जैकब की याचिका पर फैसला सुनाएगी।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। किसानों के आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले में आरोपित निकिता जैकब को आज मुंबई उच्च न्यायालय से राहत मिल गई । उच्च न्यायालय ने पर्यावरण कार्यकर्ता होने का दावा करनेवाली निकिता की गिरफ्तारी पर तीन सप्ताह की रोक लगा दी है। इसी मामले में आरोपी बीड निवासी शांतनु मुलुक को मंगलवार को ही उच्चन्यायालय की औरंगाबाद पीठ 10 दिन की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे चुकी है।

दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली की अदालत से निकिता जैकब के विरुद्ध गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करवाने के बाद निकिता ने मुंबई उच्चन्यायालय में ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। ताकि गिरफ्तारी से पहले वह दिल्ली की अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर कर सकें। उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्चन्यायालय के न्यायमूर्ति पी.डी.नाईक ने कहा कि आवेदक को लगता है कि उसे किसी भी समय गिरफ्तार किया जा सकता है। वह दूसरे राज्य की अदालत में अपनी गिरफ्तारी से राहत के लिए अपील करना चाहती है। इसलिए यह अदालत सीमित अवधि के लिए उसे राहत दे रही है। 

कोर्ट ने आगे कहा कि चूंकि आवेदक दिल्ली की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने जा रही है, इसलिए यह अदालत इस मामले की तह में जाने की जरूरत नहीं समझती। आवेदक के लिए तीन सप्ताह की ट्रांजिट अग्रिम जमानत स्वीकृत की जाती है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि जैकब को इन तीन सप्ताहों के भीतर गिरफ्तार की जाती हैं, तो उन्हें 25000 रुपए के निजी मुचलके पर रिहा किया जा सकता है। निकिता जैकब को राहत देते हुए न्यायमूर्ति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि इसी मामले के एक अन्य आरोपी शांतनु मुलुक को उच्चन्यायालय की औरंगाबाद पीठ से एक दिन पहले ही ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।

दिल्ली पुलिस ने निकिता जैकब एवं शांतनु मुलुक पर आरोप लगाया है कि इन दोनों ने बेंगलूरु निवासी दिशा रवि के साथ मिलकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के लिए एक योजना (टूलकिट) तैयार की, और ये तीनों लगातार खालिस्तान समर्थक तत्वों के संपर्क में रहे। इन तीनों पर दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धाराओं के तहत 124(ए) अर्थात देशद्रोह, 153(ए) अर्थात दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने एवं 120 (बी) अर्थात आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है। 

उच्चन्यायालय में जैकब की याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस के वकील हितेन वेनेगावकर ने कहा कि दिल्ली पुलिस 11 फरवरी को निकिता के गोरेगांव स्थित घर गई थी। जहां उसने निकिता से 12 फरवरी को पुनः पूछताछ के लिए उपस्थित रहने को कहा था। लेकिन अगले दिन से ही निकिता फरार हो गईं। इसलिए दिल्ली पुलिस को दिल्ली की अदालत से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट निकलवाना पड़ा। हितेन ने अदालत को यह भी बताया निकिता, शांतनु एवं दिशा रवि ने 26 जनवरी से काफी पहले ही किसान आंदोलन के लिए टूलकिट तैयार कर ली थी। 

जबकि निकिता के वकील मिहिर देसाई ने उनका बचाव करते हुए अदालत को बताया टूलकिट कई लोगों द्वारा मिलकर तैयार की गई थी, और उसमें हिंसा या लालकिले की घटना का कोई जिक्र नहीं था। देसाई के अनुसार निकिता को आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। गैर जमानती वारंट जारी किए जाने से यह आशंका और पुख्ता हो जाती है। इसलिए उन्होंने 12 फरवरी को अपना घर छोड़कर अदालत की शरण ली। बता दें कि जैकब एवं शांतनु, दोनों ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए अलग-अलग याचिकाएं डाली थीं। लेकिन दोनों ने अपनी याचिकाओं में कहा है कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के तहत फंसाया जा रहा है।

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