महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में 50 वर्ष से पुराने वृक्षों को हेरिटेज का दर्जा, बनेगी Maharashtra Tree Authority
वृक्षों के संरक्षण के लिए उद्धव मंत्रिमंडल ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में 50 वर्ष से अधिक पुराने वृक्षों को हेरिटेज का दर्जा देने का निर्णय लिया है साथ ही महाराष्ट्र ट्री अथारिटी (Maharashtra Tree Authority) भी बनायी जाएगी।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। कोविड महामारी के दौरान जब मनुष्य को आक्सीजन का महत्व बड़ी शिद्दत से पता चल चुका है एवं पर्यावरण में असंतुलन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के लिए एक सप्ताह के अंदर ही दूसरा बड़ा निर्णय किया है। अब महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में 50 वर्ष से अधिक पुराने वृक्षों को हेरिटेज (धरोहर) का दर्जा देकर संरक्षित किया जाएगा। प्रथम तो इन वृक्षों को काटने की अनुमति ही नहीं दी जाएगी। यदि अनुमति दी भी गई को आवेदनकर्ता को इन वृक्षों को काटने की भरपाई स्वरूप काफी कड़े नियमों का पालन करना होगा।
इसी सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में आरे कालोनी का 812 एकड़ हरित क्षेत्र वन विभाग एवं संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) को सौंपने का निर्णय किया है। अब महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्र को संरक्षित करने एवं उसे विस्तार देने के लिए महाराष्ट्र (शहरी क्षेत्र) प्रोटेक्शन एंड प्रीजर्वेशन आफ ट्रीज एक्ट, 1975 में संशोधन किया है। इसके तहत पर 50 वर्ष से अधिक पुराने वृक्षों को काटा नहीं जा सकेगा। वृक्षों के संरक्षण को अमली जामा पहनाने के लिए उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र ट्री अथारिटी बनाने का भी निर्णय किया है। इस निर्णय का ड्राफ्ट तैयार करने में राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र एवं पर्यावरण प्रेमी है। उनका कहना है कि यह निर्णय राज्य के शहरी भागों में हरित क्षेत्र बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगा।
यदि ऐसे वृक्षों को कभी काटने की जरूरत पड़ी तो आवेदक को इन वृक्षों की अनुमानित आयु वाले वृक्षों के पौधे निर्धारित संख्या में रोपित करने होंगे, और यह ख्याल भी रखना होगा कि ये पौधे अगले सात साल तक संरक्षित रहें। यदि बदले में पौधे लगाना संभव न हो तो आवेदक को काटे जा रहे वृक्षों के मूल्यांकन के बराबर राशि जमा करनी होगी। यह मूल्यांकन महाराष्ट्र ट्री अथारिटी द्वारा किया जाएगा। पांच वर्ष या इससे अधिक की उम्र वाले 200 से अधिक वृक्षों को काटने से पहले महाराष्ट्र ट्री अथारिटी से संपर्क करना होगा। महाराष्ट्र ट्री अथारिटी में लोकल ट्री अथारिटी के लोगों को शामिल किया जाएगा जो स्थानीय वृक्ष प्रजातियों के जानकार होंगे। ये ट्री अथारिटीज प्रति पांच वर्ष पर वृक्षों की गणना एवं उनका वर्गीकरण करवाएंगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी शहरी क्षेत्र में हरित क्षेत्र 33 फीसद से कम न हो।
नगरीय क्षेत्रों में जगह की कमी को देखते हुए सघन वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए मियावाकी पद्धति को बढ़ावा दिया जाएगा। जापानी वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा शुरू की गई इस पद्धति में पहले वृक्षारोपण के लिए एक जगह चुनी जाती है। फिर उस क्षेत्र में आसानी से पनप सकनेवाले पौधों का चयन करके, उन्हें बिल्कुल पास-पास रोपित किया जाता है। ताकि उन्हें सिर्फ ऊपर से सूरज की रोशनी मिल सके और वे सीधे ऊपर की ओर बढ़ सकें। इससे नगरों में कम जगह में भी सघन हरित क्षेत्र तैयार किया जा सकता है। महाराष्ट्र की प्रधान सचिव (पर्यावरण) मनीषा पाटनकर म्हैसकर कहती हैं कि मंत्रिमंडल द्वारा किया गया यह निर्णय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। ये वृक्षों के संरक्षण में बहुत सहायक सिद्ध होगा।