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Great Indian Bustard: सोन चिड़िया के लिए खतरा बन रहे हैं हाई वोल्टेज बिजली के तार

Great Indian Bustard देश में लुप्त होने के कगार पर पहुंच रही चोन चिड़िया के लिए हाई वोल्टेज बिजली के तार लगातार खतरा बनते जा रहे हैं। बीते सोमवार को भी राजस्थान के जैसलमेर में एक हाई वोल्टेज तार से टकराकर एक सोन चिड़िया की मौत हो गई।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Wed, 19 Oct 2022 03:35 PM (IST)
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सोन चिड़िया के लिए खतरा बन रहे हैं हाई वोल्टेज बिजली के तार। फोटो- द कार्बेट फाउंडेशन
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Great Indian Bustard: देश में लुप्त होने के कगार पर पहुंच रही चोन चिड़िया (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के लिए हाई वोल्टेज बिजली के तार लगातार खतरा बनते जा रहे हैं। बीते सोमवार को भी राजस्थान के जैसलमेर में एक हाई वोल्टेज तार से टकराकर एक सोन चिड़िया की मौत हो गई।

सोन चिड़िया इसलिए टकरा जाती हैं तार से

बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (BNHS) के सचिव व वन्यजीव विशेषज्ञ किशोर रीठे बताते हैं कि इन पक्षियों की ऊंचाई करीब 3.5 फुट व वजन 15-16 किलोग्राम तक होता है। इसलिए हेलीकाप्टर की तरह न तो ये सीधे उड़ान भर पाते हैं, न ही सीधे उतर पाते हैं। इन्हें उड़ाने भरने के लिए भी हवाई जहाज की तरह पहले दौड़ लगानी पड़नी है, और उतरते समय भी धीरे-धीरे ही उतरना पड़ता है। इनकी आंखें सामने न होकर बगल में होती हैं। इसलिए उड़ते समय बिजली के तार अचानक सामने आ जाने पर ये अपनी दिशा नहीं बदल पाते और तार से टकरा जाते हैं। इन्हें करंट तो लगता ही है, वजन अधिक होने के कारण ये तार से टकराकर सीधे जमीन पर आ गिरते हैं और इनकी मौत हो जाती है। अक्सर गिरे हुए पक्षियों को कुत्ते, लोमड़ी, सियार या भेड़िया जैसे जंगली जानवर भी अपना शिकार बना लेते हैं।

150 से भी कम बची है इनकी संख्या

वन्यजीवों के लिए काम कर रही संस्था द कार्बेट फाउंडेशन के निदेशक केदार गोरे इन लुप्तप्राय पक्षियों की निरंतर घटती संख्या पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार सोन चिड़िया की संख्या 150 से भी कम बची है। इनकी अधिक संख्या राजस्थान और गुजरात में पाई जाती है। इसके अलावा कर्नाटक व महाराष्ट्र में कुछ सोन चिड़िया देखी जाती हैं। चूंकि राजस्थान व गुजरात में इन दिनों सौर ऊर्जा की बड़ी-बड़ी इकाइयां लग रही हैं और उन्हें उनसे पैदा होने वाली बिजली के वितरण के लिए हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन तार लगाए जा रहे हैं, इसलिए ये तार सोन चिड़िया प्रजाति के लिए लगातार खतरा बनते जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कोई उपाय नहीं अपनाया जा सका

केदार गोरे के अनुसार, 19 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इन पक्षियों की रक्षा के लिए हाई वोल्टेज बिजली के तार जमीन के अंदर से ले जाने के निर्देश दिए थे। जब तक ऐसा न हो सके, तब तक सभी तारों पर बर्ड डाइवर्जन लगाने का सुझाव भी दिया था, ताकि पक्षियों को दूर से ही ये तार दिखाई दे जाएं, और वे अपना रास्त बदलकर सुरक्षित रह सकें। लेकिन अब तक इन दोनों में से कोई उपाय अपनाया नहीं जा सका है।

सोन चिड़िया को लेकर इसलिए है चिंता

वन्यजीवों के अध्ययनकर्ता मृत्युंजय बोस का मानना है कि सोन चिड़िया को लेकर चिंता की बात इसलिए भी है, क्योंकि इनकी उम्र सिर्फ 15 वर्ष होती है, और इनका प्रजनन काल चार-पांच वर्ष के बाद ही शुरू होता है। मादा सोन चिड़िया साल में एक बार एक अंडा ही देती है। कभी-कभी तो दो साल में एक अंडा देती है। इनके अंडों पर भी कुत्तों और जंगली जानवरों की नजर टिकी रहती है। इसलिए इन प्रजाति के पक्षियों की संख्या बढ़ नहीं पा रही है। इन संरक्षण के लिए न सिर्फ सरकार व पशु-पक्षियों के लिए काम कर रही गैरसरकारी संस्थाओं को गंभीरतापूर्वक काम करना होगा, बल्कि आम लोगों में भी इनके प्रति जागरूकता लानी होगी।

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