Ganesh Festival 2023: महाराष्ट्र में छिपे सुंदर नजारों से लेकर मुंबई की 'हसल' तक, बेहद खूबसूरत रहा यह सफर
महाराष्ट्र टूरिज्म की ओर से एक खास फेस्टिवल का आयोजन किया गया था जिसमें हरजिंदगी को जुड़ने का भी मौका मिला। इस सफर में हमने महाराष्ट्र के अद्भुत नजारों को निहारा और साथ ही मुंबई स्थित गणेश पंडालों के दर्शन भी किए। मुंबई एयरपोर्ट से बस यात्रा शुरू हुई और यात्रा का पहला स्टॉप पालघर था जो महाराष्ट्र का एक जिला है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 27 Sep 2023 07:58 PM (IST)
मुंबई, ऑनलाइन डेस्क। महाराष्ट्र टूरिज्म की ओर से एक खास फेस्टिवल का आयोजन किया गया था, जिसमें हरजिंदगी को जुड़ने का भी मौका मिला। इस सफर में हमने महाराष्ट्र के अद्भुत नजारों को निहारा और साथ ही मुंबई स्थित गणेश पंडालों के दर्शन भी किए।
महाराष्ट्र टूरिज्म की ओर से इंटरनेशनल गणेश फेस्टिवल 2023 का पहला आयोजन किया गया था। यह फेस्टिवल 18 सितबंर से शुरू हुआ था, जो 28 सितंबर तक चलेगा। इस फेस्टिवल के दौरान ट्रैवल इंफ्लूएंसर्स और मीडिया से जुड़े लोगों को मुंबई, पुणे, रत्नागिरी और पालघर घूमने का मौका दिया गया। यह महाराष्ट्र के उन खजानों में से एक था, जिससे करीब से रूबरू होने का मौका मिलना एक बड़ी बात थी।
गणेश उत्सव के दौरान हरजिंदगी ने अपनी 4 दिवसीय ट्रिप का जमकर मजा लिया और महाराष्ट्र की कल्चरल और स्प्रिचुअल जर्नी का आनंद लिया। हमारे लिए यह अद्भुत था, क्योंकि हमें महाराष्ट्र के कल्चर, इतिहास, परंपरा, खानपान और खूबसूरत नजारों को निहारने का बेहतरीन मौका मिला था। हमारे इस अनुभव से आप भी जरूर दो-चार होइए।
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पालघर और ढेकाले का मनोरम दृश्य
मुंबई एयरपोर्ट पर सभी से मिलने के बाद हमारी बस यात्रा शुरू हुई। हमारी यात्रा का पहला स्टॉप था पालघर, जो महाराष्ट्र का एक जिला है। हरियाली से भरपूर और संकरी गलियों से गुजरते हुए पालघर का मौसम मुंबई से एकदम अलग और सुहाना था। यहां हमें दो दिन रुकना था और इन दो दिनों में हमने गांव के छोटे-छोटे गणपति पंडालों के साथ-साथ, लोकप्रिय शीतला माता मंदिर, सतावलि का शंकर मंदिर, ढेकाले डैम, केलवा बीच और स्थानीयों से मुलाकात की।
यहां जिस चीज ने हमारा सबसे ज्यादा ध्यान खींचा, वो यहां की आदिवासी जनजाति द्वारा किया गया तारपा नृत्य था। हाथों से बनाया गया तारपा एक इंस्ट्रुमेंट है, जिसे एक अनुभवी बुजुर्ग द्वारा बजाया जा रहा था। उनके साथ, तारपा की धुन पर नृत्य कर रहे थे। उनसे जानने पर हमें पता चला कि यह नृत्य भगवान के प्रति एक ग्रैटिट्यूड है, जिसमें समुदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ भागीदार बनते हैं।इसके अलावा महाराष्ट्र के पारंपरिक भोजन को चखना दिल को खुश करने वाला मोमेंट था। हमें एक पांरपरिक महाराष्ट्रीयन थाली खाने का मौका मिला, जिसे खास गणेश उत्सव के लिए बनाया गया था।
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