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Badlapur School Case: कौन हैं IPS आरती सिंह, जो बनी SIT प्रमुख? फो‌र्ब्स की लिस्ट में भी नाम है शामिल

Badlapur School Case बदलापुर में बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। वहीं IPS आरती सिंह को इसका प्रमुख बनाया गया है। स्त्री रोग विशेषज्ञ से आईएएस बनी डॉ. आरती सिंह वर्तमान में महाराष्ट्र पुलिस में आईजी (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं। वह फो‌र्ब्स की सूची में भी जगह बना चुकी हैं।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 23 Aug 2024 12:11 AM (IST)
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बदलापुर में बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन करते लोग।

मिड-डे, मुंबई। लिंगभेद से लड़ने के लिए हाल ही में फो‌र्ब्स एशिया की पावर बिजनेसवुमन पत्रिका में शामिल वर्ष 2006 की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह को बदलापुर में बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना की जांच के लिए गठित एसआईटी टीम का प्रमुख नियुक्त किया गया है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ से IPS बनी हैं डॉ. आरती सिंह

स्त्री रोग विशेषज्ञ से आईएएस बनी डॉ. आरती सिंह वर्तमान में महाराष्ट्र पुलिस में आईजी (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी आरती के परिवार के कुछ सदस्य भी अधिकांश परिवारों की तरह लड़कियों की सुरक्षा से लेकर उनके दहेज की चिंता तक के कारण उनके जन्म से चिंतित रहते थे, लेकिन तमाम बाधाओं से पार पाते हुए आरती ने हमेशा डॉक्टर बनने का सपना देखा और अपने लक्ष्य को पाया भी।

लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनने का किया फैसला

लेबर वार्ड में स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी इंटर्नशिप के दौरान प्रसव के बाद अधिकांश माताएं उनसे एक ही सवाल पूछती थीं कि लड़का हुआ है या लड़की? यानी यह स्पष्ट संकेत था कि समाज लड़कियों के जन्म पर खुश नहीं होता। इस सवाल ने आरती को इस हद तक परेशान कर दिया कि उन्होंने लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनने का फैसला किया।

फोर्ब्स की सूची में भी मिला स्थान

डॉक्टरी पेशे में सीमाएं थीं तो उन्होंने जल्द ही डॉक्टर से आईपीएस बनने का निर्णय लिया ताकि वह महिलाओं को सुरक्षित महसूस करा सकें और लिंग भेद के खिलाफ अत्याचारों को कम कर सकें। इस दिशा में उन्होंने खूब काम किया और इसी के चलते फो‌र्ब्स की सूची में भी स्थान पाया।

नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली में भी हुई तैनाती

यही नहीं, आरती सिंह नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली क्षेत्र में तैनात पहली महिला आईपीएस भी रहीं। 2009 में नक्सलियों ने वहां 17 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी और ग्रामीणों को राज्य और संसदीय चुनावों में मतदान न करने की चेतावनी दी थी। वहां उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों और उपलब्ध बल के साथ न केवल हथियार और गोला-बारूद बरामद किया बल्कि संवेदनशील क्षेत्रों सुचारू चुनाव भी सुनिश्चित किए थे।

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