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Jaipur-Mumbai Train Firing: घर जाने की अनुमति मांग रहा था आरोपी RPF जवान चेतन, ASI टीकाराम ने कर दिया था इनकार

अधिकारी भले ही कह रहे हों कि फायरिंग की घटना से पहले चेतन और एएसआइ टीकाराम मीणा के बीच कोई बहस नहीं हुई थी लेकिन सूत्रों ने बताया कि घर जाने की अनुमति को लेकर दोनों के बीच बहस हुई थी। चेतन का एक हफ्ते पहले ही आरपीएफ की मुंबई सेंट्रल डिवीजन में ट्रांसफर हुआ था उससे पहले वह गुजरात की आरपीएफ डिवीजन में तैनात था।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 01 Aug 2023 05:30 AM (IST)
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बार-बार मांग रहा था घर जाने की अनुमति, एएसआइ टीकाराम ने हर बार कर दिया था।
मुंबई, मिडे-डे: जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12956) में फायरिंग कर अपने एएसआइ और तीन यात्रियों की हत्या करने वाला आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में यह कहता हुआ दिखाई दे रहा है कि उसने आतंकवादियों को मारा है।

इससे ऐसा लगता है कि उसने यह वारदात एक धर्म के प्रति घृणा के चलते की है। हालांकि अधिकारियों ने इसके लिए उसके मानसिक स्वास्थ्य को कारण बताया। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि ऐसे व्यक्ति को खतरनाक हथियार क्यों सौंपा गया तो उनके पास कोई जवाब नहीं था।

अधिकारी भले ही कह रहे हों कि फायरिंग की घटना से पहले चेतन और एएसआइ टीकाराम मीणा के बीच कोई बहस नहीं हुई थी, लेकिन सूत्रों ने बताया कि घर जाने की अनुमति को लेकर दोनों के बीच बहस हुई थी। सूत्रों का कहना है कि चेतन का एक हफ्ते पहले ही आरपीएफ की मुंबई सेंट्रल डिवीजन में ट्रांसफर हुआ था, उससे पहले वह गुजरात की आरपीएफ डिवीजन में तैनात था।

उसके पिता भी आरपीएफ में थे और उनकी 2009 में मृत्यु हो गई थी। चेतन को उन्हीं के स्थान पर नौकरी मिली थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि वह हमेशा अपने कार्यावधि से पहले घर जाने की जल्दी में रहता था। सोमवार को आरपीएफ टीम तड़के 2.48 बजे सूरत से ट्रेन में सवार हुई थी और उसके बाद से ही चेतन ने टीकाराम से यह अनुरोध करना शुरू कर दिया था कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है और वह घर जाना चाहता है।

टीकाराम ने उससे कुछ देर आराम करने के लिए कहा था। इसके बाद वह बी-5 कोच में आराम करने लगा था। चार बजे जागने पर उसने टीकाराम से फिर कहा कि उसकी पीठ में दर्द है और वह घर जाना चाहता है। टीकाराम ने उसे अनुमति नहीं दी।

कुछ मिनट बाद चेतन के पास उसकी पत्नी का फोन आया और उसने कुछ देर उससे बात की। कोच में मौजूद लोगों ने उसे पत्नी से यह कहते सुना की वह घर आने में असमर्थ है और उसका अपनी पत्नी से झगड़ा भी हुआ। उसने फिर टीकाराम से घर जाने की अनुमति मांगी, लेकिन जब अनुमति मिली तो यह अनुरोध बहस में तब्दील हो गया। इसी दौरान उसने टीकाराम को गोली मार दी।

आरपीएफ कांस्टेबल जयप्रकाश यादव और प्रवीण तमांग भी ट्रेन की एस्कार्ट टीम में शामिल थे, लेकिन चेतन ने उन पर फायरिंग नहीं की। चेतन ने उनसे कहा था कि वे बीच में न आएं अन्यथा वह उन्हें भी मार देगा। चूंकि दोनों कांस्टेबलों के पास सिर्फ लाठियां थीं, इसलिए वे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे।

भागते हुए आए थे पैंट्री कार के डरे हुए लोगः प्रत्यक्षदर्शी 

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जयपुर से मुंबई जाने के लिए ट्रेन में सवार हुआ था। मेरा कोच पैंट्री कार के पास था। सुबह करीब 5.30 बजे मैं अपना सामान समेट रहा था, तभी पैंट्री कार में कुछ लोगों के झगड़ने का शोर सुना।

तभी पैंट्री कार की यूनिफार्म में तीन लोग उनके कोच की ओर दौड़ते हुए आए और मेरी पत्नी की सीट के पास आकर रुक गए। वे सीट के नीचे छिपने की कोशिश कर रहे थे। जब उनसे पूछा कि वह डरे हुए क्यों हैं तो उनमें से एक ने कहा- वह गोली मार रहा है।

मैं भी डर गया, मुझे लगा कुछ लोग शायद यात्रियों को मारने के लिए गन लेकर कोच की तरफ आ रहे हैं। इसके बाद तीनों लोग हमारे कोच से दूसरे कोच की तरफ चले गए। इसके बाद एक चौथा आदमी सामान्य कपड़ों में उसी तरफ भागता हुआ गया जिधर पैंट्री कार के लोग गए थे।

उनके पीछे खाकी वर्दी पहने व्यक्ति अपनी गन के साथ उनके पीछे गया। कुछ देर बाद वर्दी वाला व्यक्ति चौथे आदमी की तरफ गन ताने खड़ा था।

पांच मिनट बाद दो गोलियां चलने की आवाज आई। हम लोग चुपचाप बैठ गए। थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति चिल्लाकर कह रहा था- आप पुलिसवाले हो और आपने इनको सबके सामने मार दिया। इस पर मैंने किसी को कहते सुना- यह दस लोगों को मारता तो चलता क्या आपको? बाद में जब ट्रेन बोरीवली स्टेशन पर रुकी तो हम उतर गए और हमने वहां बड़ी संख्या में पुलिस वालों को देखा।

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