'उद्धव ने धोखा दिया... तीसरे कार्यकाल में होंगे ऐतिहासिक फैसले', पीयूष गोयल ने हर सवाल का बेबाकी से दिया जवाब, पढ़ें खास बातचीत
Piyush Goyal Exclusive Interview केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल उत्तर मुंबई लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनसे खास बातचीत की है जागरण नेटवर्क ने जिसमें उन्होंने तीसरी बार एनडीए सरकार बनने का दावा किया और कहा कि तीसरे कार्यकाल में ऐतिहासिक फैसले लिए जाएंगे। इसके अलावा और भी मुद्दों पर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी है। पढ़ें पूरी बातचीत....
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। पीयूष गोयल भाजपा के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने भाजपा को उसके जनसंघ काल से ही आगे बढ़ते देखा है। वह भाजपा-शिवसेना गठबंधन के भी गवाह हैं, क्योंकि 1984 में उनके सायन स्थित घर पर ही भाजपा-शिवसेना के पहले चुनावी समझौते पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एवं दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे के बीच मुहर लगी थी।
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विश्वासपात्र सहयोगियों में से एक हैं। 59 वर्षीय केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री गोयल उत्तर मुंबई की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत का आश्चर्यजनक सर्वांगीण विकास होगा। प्रस्तुत है पीयूष गोयल से दैनिक जागरण के मुंबई ब्यूरो प्रमुख ओमप्रकाश तिवारी की बातचीत के अंश।
प्रश्न - कैसा चल रहा है आपका चुनाव अभियान? उत्तर मुंबई की सीट से राम नाईक और गोपाल शेट्टी जैसे लोकप्रिय नेता चुनकर जाते रहे हैं।
उत्तर - मेरा जन्म भाजपा परिवार में हुआ है। मेरे पिता स्वर्गीय वेदप्रकाश गोयल राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री थे। जबकि मेरी मां स्वर्गीय चंद्रकांता गोयल माटुंगा से तीन बार विधायक थीं। मैंने राम भाऊ से बहुत कुछ सीखा है। वह बहुत वरिष्ठ एवं बड़े ही व्यवस्थित तरीके से काम करनेवाले नेता रहे हैं। दूसरी ओर मैंने वर्तमान सांसद गोपाल शेट्टी के साथ भी काम किया है। वास्तव में मैं उन दोनों के साथ पारिवारिक संबंधों का आनंद लेता हूं। दोनों मेरी मदद कर रहे हैं। जहां तक उत्तर मुंबई का सवाल है, हमारा लक्ष्य 'उत्तर मुंबई' को 'उत्तम मुंबई' बनाने का है।
प्रश्न- मुंबई के सायन स्थित आपका निवास कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा है।
उत्तर - जी। वाजपेयी जी जब भी मुंबई आते थे तो आम तौर पर हमारे घर पर ही रुकते थे। दरअसल, मेरे आवास पर ही भाजपा और शिवसेना के बीच औपचारिक चुनावी गठबंधन पर मुहर लगी थी। दिवंगत बाला साहेब ठाकरे वाजपेयी जी से मिलने हमारे घर आये थे। जब चीजें फाइनल हो गईं तो दोनों शिवाजी पार्क गए और घोषणा की। तब शिवसेना दो लोकसभा सीटों पर भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर ही चुनाव लड़ी थी। मैं भी शुरू से ही भाजपा के लिए काम करता रहा हूं।
प्रश्न- शिवसेना के साथ संबंध कैसे गड़बड़ा गए ?उत्तर - जब उद्धव ठाकरे ने भाजपा को धोखा देकर शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिला लिया, तो वह बालासाहेब के सिद्धांतों और विचारधारा से भटक गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण था। हालांकि एकनाथ शिंदे बालासाहेब के सिद्धांतों पर अडिग रहे हैं। इसलिए उनके साथ भाजपा का गठबंधन चल रहा है।
प्रश्न - कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टियां टूट जाने के बाद सहानुभूति लहर उनके साथ है। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है ?उत्तर - ये महज एक दावा है। दावा करने पर तो कोई टैक्स लगता नहीं। वे कुछ भी दावा कर सकते हैं। तथ्य यह है कि लोगों ने मोदी के काम को देखा है। लोग देख रहे हैं कि पिछले 10 वर्षों में भारत कैसे बदल गया है। महाराष्ट्र और देश में अन्य जगहों पर जो भी लोग हमारे साथ हैं, उन्होंने भी मोदी का काम देखा है।
प्रश्न - पिछले दिनों महाराष्ट्र में ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद के 100 दिनों का एक खाका तैयार कर लिया गया है।उत्तर - मोदी रिकॉर्ड बहुमत से चुनाव जीतने जा रहे हैं। उनका तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना तय है। एक बार जब वह दोबारा पद संभालेंगे तो उनके पास एक ब्लू-प्रिंट तैयार है। बीजेपी के नेतृत्व वाली तीसरी राजग सरकार ऐतिहासिक फैसले लेने जा रही है। मोदी का तीसरा कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में आश्चर्यजनक सर्वांगीण विकास का होगा, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। आपने देखा कि प्रधानमंत्री कैसे काम करते हैं।
ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: बहुमत नहीं मिला तो क्या करेगी भाजपा? अमित शाह ने प्लान B को लेकर कही ये बातप्रश्न - एक रैली में प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में दो लाख सहकारी समितियां स्थापित करना और भारत के ग्रामीण परिदृश्य की अर्थव्यवस्था को गति देना है।
उत्तर - हां, विचार यह है कि गांवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि एक किलो भी कृषि उपज बर्बाद न हो। सहकारिता क्षेत्र को मजबूती मिलने जा रही है। हमारे पास सहकारी बैंकों, सहकारी चीनी मिलों और सहकारी दुग्ध फेडरेशनों के महाराष्ट्र के उदाहरण हैं। इनसे काफी कुछ सीखा और प्रेरणा ली जा सकती है। उद्योग के क्षेत्र में भी कहीं-कहीं सहकारिता का उपयोग करके आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रश्न - महाराष्ट्र के कई जिलों में प्याज का उत्पादन होता है। यहां के किसान प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।उत्तर - प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन अब हटा लिया गया है। अब निर्यात पर कोई कोटा भी नहीं है। कोई कितना भी प्याज का निर्यात कर सकता है। उलटे सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों के हितों के लिए ही कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जिनका लाभ उन्हें मिलने वाला है।
ये भी पढ़ें- लगातार टूटती गई 139 साल पुरानी कांग्रेस, शरद पवार से ममता बनर्जी तक जानिए किन दिग्गजों ने तोड़ा नाता और बना ली अपनी पार्टी?
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।