Maharashtra Assembly Elections: विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र भाजपा नेतृत्व में क्या होगा कोई बदलाव? शाह और नड्डा ने बनाई ये रणनीति
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद स्पष्ट कर दिया गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया कि चार महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र भाजपा नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद स्पष्ट कर दिया गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
भाजपा को हार का करना पड़ा था समाना
हाल के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। वह पिछली बार की 23 सीटों से घटकर नौ सीटों पर आ गई है, जबकि वह पिछली बार 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इस बार 28 सीटों पर लड़ी। इस हार के बाद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से त्यागपत्र देने की पेशकश करते हुए कहा था कि वह अपना पूरा समय संगठन को देना चाहते हैं।
महाराष्ट्र भाजपा नेतृत्व में नहीं होगा कोई परिवर्तन
मंगलवार को दिल्ली में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट कर दिया कि चार महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र भाजपा नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।कोर कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर हुई चर्चा
मालूम हो कि एक दिन पहले ही पार्टी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को महाराष्ट्र भाजपा का चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह-प्रभारी बनाकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रति भाजपा की गंभीरता का संकेत दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, कोर कमेटी की बैठक में हार के कारणों पर भी चर्चा हुई, लेकिन ज्यादा जोर विधानसभा चुनावों में पिछली कमियों को दूर कर पूरी ताकत से उतरने पर रहा।
हार का क्या रहा कारण?
लोकसभा चुनाव में भाजपा एवं उसके मित्र दलों के बीच सीटों का समझौता होने में काफी देर हो गई थी। चुनाव में कई सीटों पर हार का यह भी एक कारण रहा है। केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि इस बार मित्र दलों के साथ सीटों का बंटवारा जल्द हो जाए, ताकि सभी दलों के प्रत्याशी अपनी सीटों पर पूरा समय देकर चुनाव लड़ सकें।महाराष्ट्र में राकांपा और भाजपा के कुछ नेताओं के बीच हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने की शुरुआत हो गई दिखती है। लेकिन सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक शिवसेना (शिंदे) या राकांपा (अजीत) से अलग होकर चुनाव लड़ने के संकेत प्रदेश के नेताओं को नहीं दिए हैं।
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