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Maharashtra Assembly Elections: पिछली बार प्याज ने रुलाया, क्या अब बचाएगा? BJP को उत्तर महाराष्ट्र से किस बात की उम्मीद

Maharashtra Assembly Elections 2024 लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के निर्णय ने किसानों और प्याज व्यापारियों को ऐसा नाराज किया कि इस क्षेत्र ने भाजपा को खून के आंसू रुला दिए। अब प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भाजपा और शिवसेना मिलकर इस बार अपनी पुरानी जमीन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों को उम्मीद है कि फैसले का असर इस बार दिखेगा।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Sat, 26 Oct 2024 02:10 PM (IST)
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Maharashtra Assembly Elections महाराष्ट्र में भाजपा और सहयोगियों को किसानों से उम्मीद।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। उत्तर महाराष्ट्र कभी भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ हुआ करता था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के निर्णय ने किसानों और प्याज व्यापारियों को ऐसा नाराज किया कि इस क्षेत्र ने भाजपा को खून के आंसू रुला दिए। अब प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाया जा चुका है। भाजपा और शिवसेना मिलकर इस बार अपनी पुरानी जमीन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा में दिखी थी किसानों की नाराजगी

कभी उत्तर महाराष्ट्र उसके अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटबैंक के जरिए उसका मजबूत गढ़ हुआ करता था। गोपीनाथ मुंडे और एकनाथ खडसे जैसे ओबीसी नेताओं का अच्छा जनाधार था। भाजपा अपने माधव समीकरण (माली, धनगर, वंजारी) के कारण इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव रखती थी। लेकिन 2014 में गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन के बाद इस समीकरण को झटका लगा। 

इसके बाद 2019 में भाजपा ने मुक्ताई नगर से वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे का टिकट काटकर ओबीसी को और नाराज करने का काम किया।

पंकजा मुंडे की हुई थी हार

उधर गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे भी विधानसभा चुनाव हार गईं और अपनी हार का ठीकरा प्रदेश भाजपा के नेताओं पर ही फोड़ने लगीं। इन सभी कारणों से भाजपा का मजबूत ओबीसी वोटबैंक उससे छिटकता दिखाई दिया। इसका असर पिछले लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। इसके अलावा उत्तर महाराष्ट्र में ही नासिक का लासलगांव क्षेत्र देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है।

नासिक, धुले और अहमदनगर प्याज उत्पादक किसानों का तो केंद्र है ही मुंबई और पुणे जैसे महानगरों को हरी सब्जियों और फलों की आपूर्ति करनेवाले किसानों का भी बड़ा केंद्र है। नासिक अंगूर उत्पादन का भी बड़ा केंद्र है, और इसका पड़ोसी जिला जलगांव और भुसावल केला उत्पादन के लिए जाने जाते हैं।

2018 से 2022 तक किसानों के दो-तीन पैदल मार्च नासिक से मुंबई तक निकल चुके हैं। इसलिए उत्तर महाराष्ट्र के किसान चुनावों में भी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहीं के एक किसान नेता जे.पी.गावित कालवन से कई बार सीपीआई (एम) के विधायक रह चुके हैं। वह इस बार भी चुनाव मैदान में हैं।

प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से भाजपा को हुआ था नुकसान

लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से नाराज किसानों के बीच राहुल गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने जाकर रैलियां कीं, जिसका असर चुनाव परिणामों पर देखने को मिला। उत्तर महाराष्ट्र अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का भी बड़ा केंद्र है। इस क्षेत्र में 11 एसटी सीटें हैं। यहां का जनजातीय समूह फॉरेस्ट राइट एक्ट लागू करने की मांग भी लंबे समय से करता आ रहा है।

निर्यात से प्रतिबंध हटाने का क्या होगा असर?

अब प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाया जा चुका है। दूसरी ओर भाजपा अपने पुराने ओबीसी वोटबैंक को सहेजने का काम भी कर रही है। पंकजा मुंडे को हाल ही में विधान परिषद में भेजकर उनके सम्मानजनक पुनर्वास का संकेत दिया गया है। अपने पुराने नेता एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे तीसरी बार रावेर लोकसभा सीट से जीतने के बाद केंद्र सरकार में मंत्री भी बनाई गई हैं। हालांकि, खडसे की बेटी रोहिणी अभी भी राकांपा (शरदचंद्र पवार) में ही है। उसे शरद पवार ने खडसे की ही पुरानी सीट मुक्ताई नगर से विधानसभा का टिकट भी दिया है। लेकिन खडसे की वैसी नाराजगी अब भाजपा से नहीं दिखती। भाजपा ने उनके भी सम्मानजनक पुनर्वास का वायदा कर रखा है।

ओबीसी वोटबैंक को सहेजने का एक बड़ा जरिया सत्तारूढ़ गठबंधन के बड़े नेता छगन भुजबल भी हैं। वह राकांपा (अजीत पवार) की पार्टी से अपनी पुरानी येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह राज्य में ओबीसी समाज के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बाद सबसे ज्यादा निशाना छगन भुजबल पर ही साधते हैं। ओबीसी समाज पर इसकी प्रतिक्रिया होना भी स्वाभाविक ही है।

ये सारे समीकरण विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति के पक्ष में जाते दिखते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र की छह लोकसभा सीटों में से भाजपा को दो, कांग्रेस को दो, राकांपा (शरदचंद्र पवार) को एक और शिवसेना (यूबीटी) को एक सीट हासिल हुई थी। जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र की कुल 35 में से 13 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस-राकांपा मिलकर 12 सीट ही जीत सके थे। तब की अविभाजित शिवसेना भी छह सीटें जीती थी।

वोट जिहाद का मुद्दा भी हावी

नासिक का ही एक क्षेत्र मालेगांव मुस्लिम बहुल है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के जिन 14 लोकसभा क्षेत्रों में वोट जिहाद होने की बात कही थी, उनमें एक क्षेत्र यह भी था। इस बार भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस क्षेत्र के हिंदू मतदाताओं में वोट जिहाद का मुद्दा भी लेकर जा रही है।

उत्तर महाराष्ट्र का नासिक शहर हिंदू तीर्थ स्थल को है ही, यह उन स्वामी रामगिरि महाराज के प्रभाव वाला क्षेत्र भी है जिनके एक बयान से महाराष्ट्र का पूरा मुस्लिम समाज उबला दिखाई दे रहा है। उनपर 70 के करीब एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। मुस्लिम समाज उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनके साथ मंच साझा करते दिखाई देते हैं। इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण भी अपना रंग अवश्य दिखाएगा।

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