महाराष्ट्र में जातीय समीकरण पर टिकीं सभी की निगाहें, भाजपा, कांग्रेस या शिवसेना... किसका बिगड़ेगा खेल?
Maharashtra election 2024 महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को एक चरण में मतदान होगा। 23 नवंबर को मतगणना होगी। इससे पहले सभी दलों की निगाहें मराठवाड़ा के जातीय समीकरण पर टिक गई हैं क्योंकि यहां की 46 विधानसभा सीटें बेहद अहम हैं। पिछले चुनाव में भाजपा और शिवसेना को सबसे अधिक सीटों पर जीत मिली थी। मगर इस बार परिदृश्य बदला है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का गढ़ रहे मराठवाड़ा पर विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि जातीय ध्रुवीकरण से प्रभावित इस क्षेत्र की 46 विधानसभा सीटें क्या गुल खिलाएंगी, इसका अनुमान अभी किसी को नहीं है। मराठवाड़ा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन को 28 सीटें दी थीं।
भाजपा को 16 और शिवसेना को 12 सीटें मिली थीं। कांग्रेस और राकांपा को आठ-आठ सीटें और अन्य को दो सीटें मिली थीं। लेकिन 2023 के मध्य से मराठा समुदाय को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे में आरक्षण दिलवाने के लिए शुरू हुए आंदोलन ने पूरे मराठवाड़ा की हवा बदल दी है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को लगा था झटका
आंदोलन के सूत्रधार मराठा युवक मनोज जरांगे पाटिल के एक आह्वान ने पिछले लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा से भाजपा को एक भी सीट नहीं जीतने दी। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मराठवाड़ा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी उसकी कोई मदद नहीं कर पाए थे। इस क्षेत्र की कुल आठ लोकसभा सीटों में से तीन कांग्रेस जीती, तीन शिवसेना (यूबीटी) एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) एवं एक शिवसेना (शिंदे)।
सात सीटों पर मराठा उम्मीदवार जीते
जातीय गणित के आधार पर देखें तो आठ में से सात मराठा उम्मीदवार जीते। आठवीं सीट लातूर की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां भी उम्मीदवार कांग्रेस का ही जीता। जातीय ध्रुवीकरण की स्थिति ऐसी रही कि छत्रपति संभाजी महाराज नगर (पूर्व नाम औरंगाबाद) से मतदाताओं ने शिवसेना (यूबीटी) के ओबीसी उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे को हराकर शिवसेना (शिंदे) के मराठा उम्मीदवार संदीपन भुमरे को जिताया।जरांगे उतारेंगे अपने उम्मीदवार
मराठवाड़ा के ये परिणाम सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। खासतौर से तब, जब मनोज जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर रखी है। उन्होंने तो संभावित उम्मीदवारों के साक्षात्कार भी लेने शुरू कर दिए हैं।
महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में उनका कितना असर रहेगा, नहीं कहा जा सकता। लेकिन मराठवाड़ा के मराठा तो उनके पीछे चलने को तैयार दिख रहे हैं। लेकिन इस गणित का दूसरा पहलू भी है। मराठवाड़ा जिस प्रकार से खेतिहर मराठों का केंद्र है, उसी प्रकार वंचित-ओबीसी मतदाताओं का भी बड़ा गढ़ है।
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