महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार अभियान थम गया है। 20 नवंबर को सभी 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर भाजपा और कांग्रेस की निगाहें टिकीं हैं। महायुति की नजरे अजित पवार की पार्टी और महाविकास अघाड़ी की निगाहें शिवसेना यूबीटी के प्रदर्शन पर टिकीं हैं।
संजय मिश्र, शिर्डी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दिन हाई वोल्टेज सियासी वार-पलटवार सूबे के दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच कांटे के मुकाबले का पुख्ता संकेत दे रहे हैं। भाजपा नेतृत्व वाली सत्ताधारी महायुति लोकसभा चुनाव के झटके को पीछे छोड़ते हुए लड़की-बहिन स्कीम से गरीब महिलाओं के खाते में पहुंचे 7500 रुपये के दम और 'वोट-जिहाद, बटेंगे तो कटेंगे तथा एक हैं तो सेफ हैं' के नारों के सहारे ध्रुवीकरण के सारे दांव चल चुका है।
प्रचार के आखिरी दिन दिखी गरमा-गरमी
वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन पांच महीने पहले लोकसभा चुनाव में दिखे सत्ता विरोधी मिजाज और लड़की-बहिन के जवाब में लुभावने वादों के सहारे सत्ता की डगर छू लेने की उम्मीद कर रहा है। बहरहाल प्रचार के आखिरी दिन दिखी गरमा-गरमी के बीच सत्ता की दशा-दिशा काफी कुछ विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर से तय होगी।
76 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला
सूबे की करीब 76 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। मुंबई में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस की सुर्खियों पर राजधानी दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय से जवाबी पलटवार दोनों गठबंधनों के मतदान से पहले तेज होती सियासी धड़कनों की ओर साफ इशारा करता है।
तो लोकसभा से ज्यादा कांटे का मुकाबला
अघाड़ी के नेता और कार्यकर्ता अनौपचारिक चर्चाओं में स्वीकार कर रहे कि लोकसभा की तुलना में यह चुनावी मुकाबला ज्यादा कांटे का है। अघाड़ी के कई प्रमुख नेता खुले-दबे स्वर में लड़की-बहिन योजना को महायुति का महा-डैमेज कंट्रोल बता चुके हैं। हालांकि इसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं को 3000 रुपये महीने नगद खाते में देने का वादा किया है।
सत्ता के विमर्श में लड़की-बहिन स्कीम
अघाड़ी को लोकसभा में सूबे की 48 में से 31 सीटें मिली तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लड़की-बहिन के तहत 1500 रुपये महीने की स्कीम शुरू कर पांच महीने में 7500 रुपये महिलाओं के खाते में डाल दिए हैं। शिर्डी में तीन दिन पूर्व प्रियंका गांधी के साथ प्रचार करने आए महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज बाला साहब थोराट ने बातचीत में लड़की-बहिन से चुनाव पर असर पड़ने की बात खारिज की मगर इसके सियासी विमर्श की एक प्रमुख धुरी बनने की बात से इन्कार नहीं किया। जबकि धुले की जिला अदालत में गांव-शहरों से आने वाले लोगों से अपनी चर्चाओं का हवाला देते हुए वकील राहुल वाघ और जुबेर शेख ने कहा कि महायुति को लेकर लोगों में नाराजगी तो है।
उत्तर महाराष्ट्र भाजपा का गढ़
खासकर ग्रामीण इलाकों-किसानों में अघाड़ी का प्रभाव ज्यादा है। मगर लड़की-बहिन के लाभार्थियों में इसकी सरगर्मी तो दिख रही है। वैसे नासिक, धुले, जलगांव समेत पूरा उत्तर महाराष्ट्र भाजपा का गढ़ रहा है और इसलिए स्कीम की यहां ज्यादा चर्चा अस्वाभाविक नहीं। मालेगांव के एक सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र भोसले कहते हैं कि खानदेश के रूप में चर्चित उत्तर महाराष्ट्र के इलाकों में गुजरात का प्रभाव है और इसलिए ध्रुवीकरण पर भाजपा का पूरा जोर है।
सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर टिकीं भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदें
वरिष्ठ मराठी पत्रकार सुरेश भटेवरा के अनुसार चुनावी मुकाबले का स्वरूप हर क्षेत्र में अलग है। उत्तर महाराष्ट्र में भाजपा-एनसीपी-शिंदे सेना को साथ लेकर शिवसेना यूबीटी कांग्रेस और शरद पवार की साझी ताकत से लड़ रही। मराठवाड़ा और विदर्भ में कांग्रेस और भाजपा अधिकांश सीटों पर आमने-सामने है।जबकि मुंबई-थाणे इलाके में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की पार्टी के बीच वर्चस्व की जंग है और भाजपा तथा कांग्रेस के सत्ता की डगर काफी कुछ सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर टिकी है। इसमें महायुति की सतर्क निगाहें जहां अजित पवार की ओर टिकी है तो महा अघाड़ी उद्धव ठाकरे की पार्टी के प्रदर्शन को निरंतर आंक रहा है।
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