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भतीजे अजित के खिलाफ चाचा शरद पवार का प्लान, सिपहसालारों को घेरने के लिए बुना जाल

Maharashtra Election 2024 महाराष्ट्र विधानसभा की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है। एनसीपी और शिवसेना राज्य की दो प्रमुख पार्टियों की टूट के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। एनसीपी के विभाजन के बाद शरद पवार और अजित पवार भी आमने-सामने हैं। ऐसे में अजित और उनके सिपहसलारों को घेरने के लिए शरद पवार ने खास रणनीति बनाई है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 14 Nov 2024 06:11 PM (IST)
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शरद पवार ने अजित के सिपहसालारों को घेरने के लिए खास रणनीति अपनाई है। (File Image)
ओमप्रकाश तिवारी, पुणे। भारतीय राजनीति के सबसे चतुर खिलाड़ियों में से एक शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में न सिर्फ अपने भतीजे अजित पवार को, बल्कि उनके कई भरोसेमंद सिपहसालारों को भी इतना कायदे से घेर दिया है कि अपने प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करने में उन्हें पसीने छूटते दिखाई दे रहे हैं।

महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दिग्गज नेता छगन भुजबल 1991 में शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए थे, तब से शरद पवार ने उन्हें विभिन्न महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपी। वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष से लेकर राज्य के उप मुख्यमंत्री तक बने। लेकिन, करीब 33 वर्ष बाद, पिछले साल जब वह शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए तो पार्टी टूटने के बाद शरद पवार ने अपना पहला दौरा छगन भुजबल के गृह क्षेत्र नासिक का ही किया और वहां के लोगों को छगन भुजबल जैसा नेता देने के लिए बाकायदा माफी मांगी।

भुजबल के खिलाफ माणिकराव को उतारा

अब विधानसभा चुनाव में जब भुजबल पांचवीं बार नासिक की येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो उनके विरुद्ध शरद पवार ने अपनी पार्टी के माणिकराव शिंदे को टिकट दिया है। पिछले साल अजित पवार के साथ जाने वाले नेताओं में धनंजय मुंडे का नाम भी प्रमुख था। भाजपा के दिग्गज नेता रहे गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय को राकांपा में लाने का श्रेय ही अजित पवार को जाता है।

2019 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने अपनी चचेरी बहन पंकजा मुंडे को हराकर परली की सीट जीती थी। इस बार शरद पवार ने परली से दोबारा चुनाव लड़ रहे धनंजय के विरुद्ध एक मराठा उम्मीदवार राजेसाहेब देशमुख को उतारकर उनकी घेराबंदी कर दी है। पश्चिम महाराष्ट्र के नेता दिलीप वलसे पाटिल कभी शरद पवार के निजी सहायक हुआ करते थे, फिर उन्हें राजनीति में लाकर शरद पवार ने ही आगे बढ़ाया और कई बार मंत्री भी बनाया। अब वह अजित पवार खेमे में चले गए हैं।

वलसे के खिलाफ सहायक को दिया टिकट

अंबेगांव से चुनाव लड़ रहे पाटिल के विरुद्ध अब उनके ही सहायक रहे देवदत्त निकम को टिकट देकर पवार ने उन्हें भी घेर दिया है। उत्तर महाराष्ट्र के आदिवासी नेता नरहरि झिरवल को शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा का उप सभापति बनाया था। पिछली विधानसभा के कार्यकाल में नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के बाद राज्य में शिंदे-भाजपा की सरकार बनने तक झिरवल पर ही विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी रही।

उनके विधानसभा उपाध्यक्ष रहते ही सदन ने दो-दो पार्टियों का विभाजन देखा। इनमें एक पार्टी शरद पवार की राकांपा भी थी, जिसमें झिरवल शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए। अब सीनियर पवार ने झिरवल के विरुद्ध अपनी पार्टी से सुनीता चारोसकर जैसी तेजतर्रार महिला को उम्मीदवार बनाकर झिरवल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

बढ़ाई भरणे की मुश्किलें 

इसी प्रकार बारामती के बगल की इंदापुर सीट दिग्गज नेता हर्षवर्धन पाटिल का गढ़ मानी जाती है। हर्षवर्धन कई बार इस सीट से निर्दलीय ही चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर मात्र तीन हजार मतों से राकांपा के दत्तात्रेय भरणे से हार गए थे। बाद में भरणे अजित पवार के साथ चले गए। अब शरद पवार ने हर्षवर्धन को अपनी पार्टी में लेकर अजित गुट के भरणे के विरुद्ध उम्मीदवारी देकर भरणे की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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