SVEEP प्रोग्राम के जरिए मुंबई महानगर में बढ़ेगा वोटिंग प्रतिशत, पढ़ें EC का क्या है खास प्लान
Maharashtra Election 2024 चुनाव आयोग देश में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन करता है। इसी में एक है स्वीप यानी सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता)। स्वीप कार्यक्रम की एक विस्तृत रूपरेखा बना रखी है जिसे अमल में लाकर स्थानीय प्रशासन अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा सकता है।
जेएनएन, मुंबई। मुंबई महानगर कम मतदान के लिए जाना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी मुंबई से ज्यादा मतदान तो नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली एवं कश्मीर में दर्ज किया जा चुका है। लेकिन इस बार मुंबई के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में निर्वाचन आयोग के ‘स्वीप सिद्धांत’ के प्रयोग से मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी हो रही है।
निर्वाचन आयोग देश में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन करता है। इसी में एक है स्वीप, यानी सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता)।
स्वीप कार्यक्रम की एक विस्तृत रूपरेखा बना रखी है, जिसे अमल में लाकर स्थानीय प्रशासन अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा सकता है। लेकिन चुनाव के दौरान अन्य व्यस्तताओं के कारण व्यवस्था में लगे अधिकारी इस स्वीप के कार्यक्रमों को लागू करवाने पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश कर रही चुनाव आयोग
मुंबई के दो निर्वाचन क्षेत्रों अणुशक्ति नगर एवं चेंबूर में इस बार जनरल आब्जर्वर बनकर काम कर रहे उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी डॉ.हीरालाल स्वीप व्यवस्था को पूरी तरह लागू करवाकर इन दोनों क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के साथ-साथ चुनाव भी पर्यावरण अनुकूल कराने का प्रयास कर रहे हैं।
पहले उत्तर प्रदेश के बांदा, और भी पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब के रोपड़ लोकसभा क्षेत्र में अपने इन्हीं प्रयासों से मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सफल रहे डॉ.हीरालाल ने इसी प्रयास के तहत अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र के 262 एवं चेंबूर विधानसभा क्षेत्र के 290 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को इस काम में सक्रिय किया है।
मतदाताओं से वोटिंग की अपील कर रहे बीएलओ
इन बीएलओ से 10-10 लोगों से बात कर मतदान में भाग न लेने का कारण जाना गया है, और उन कारणों को दूर करने के उपाय भी उन्हीं बीएलओ की मदद से ढूंढे जा रहे हैं। अलग-अलग हाउसिंग सोसायटियों, पार्कों एवं स्वयंसेवी संगठनों के कार्यालयों में वरिष्ठ लोगों के साथ बीएलओ बैठकों का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें खुद आब्जर्वर भी भाग ले रहे हैं। स्कूल-कॉलेजों में भी इसी प्रकार की बैठक करके छात्रों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे अपने अभिभावकों को मतदान के लिए प्रेरित करें, और उसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर डालें।
दैनिक जागरण से बात करते हुए डॉ.हीरालाल कहते हैं कि इन प्रयासों से ही वह अतीत में बांदा और रोपड़ में करीब 10 प्रतिशत तक मतदान बढ़ाने में सफल रहे हैं। मुंबई में भी इसका सकारात्मक असर अभी से देखने को मिल रहा है। मतदान के दिन ये प्रयास और रंग लाएगा।
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