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Maharashtra Election 2024: कभी अपने हुए बेगाने तो कभी दुश्मन बने दोस्त, पांच साल तक सत्ता के लिए खूब हुई उठापटक

Maharashtra Vidhan Sabha Election 2024 महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 21 अक्टूबर 2019 को चुनाव कराया गया था और 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए गए थे। हालांकि रिजल्ट सामने आने के बाद राज्य में जमकर सियासी ड्रामा हुआ। पढ़ें पिछले पांच साल में महाराष्ट्र की राजनीति में क्या-क्या हुआ।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 15 Oct 2024 11:44 AM (IST)
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Maharashtra Vidhan Sabha Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का पूरी राजनीतिक समीकरण पर एक नजर।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Maharashtra Vidhan Sabha Election 2024 महाराष्ट्र  विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। आज शाम महाराष्ट्र चुनाव की तारीखों का एलान होना है। हालांकि, पिछले कुछ महीने पहले से ही महाअघाड़ी और महायुति गठबंधन चुनावी रणनीति बनाने में जुट चुके हैं।

दोनों गठबंधन के नेता सीट शेयरिंग को लेकर जोड़-घटाव की गणित में जुटे हैं। इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के इतिहास का सबसे दिलचस्प चुनाव होने वाला है। इसकी वजह दो पार्टियां यानी शिवसेना (Shivsena) और एनसीपी (NCP) है। दरअसल, मौजूदा समय में दोनों पार्टियों दो गुटों में बंट चुकी है।

सबसे पहले बात करते हैं कि पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज्य की स्थिति क्या थी।

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 21 अक्टूबर, 2019 को चुनाव कराया गया था और 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए गए थे।

बीजेपी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इन चुनावों में उसकी सहयोगी रही शिवसेना ने 126 सीटों पर चुनाव लड़ा और 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

वहीं, कांग्रेस ने 147 में से 44 सीटों पर एनसीपी ने 121 में से 54 सीटों पर और एमएनएस ने 101 में से 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, सीपीआईएम ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे एक सीट पर जीत हासिल हुई थी।

कुर्सी के लिए जब आमने सामने आ गए शिवसेना और बीजेपी  

राज्य में असली सियासी ड्रामा रिजल्ट आने के बाद शुरू हुआ। दरअसल, सरकार बनाने और सीएम की कुर्सी को लेकर भाजपा और शिवसेना में मतभेद की स्थिति हो गई। इसी बीच एनसीपी नेता शरद पवार लगातार उद्धव ठाकरे से बात करने में जुट गए।

वहीं, दूसरी ओर 23 नवंबर 2019 की सुबह भाजपा के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। हालांकि, इन दोनों ने नेताओं ने विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने से पहले ही 26 नवंबर 2019 को अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।

उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस- एनसीपी के साथ बनाया सरकार

दूसरी ओर 28 नवंबर 2019 को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के एक नए गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA ) का गठन हुआ। एमवीए ने तत्कालीन शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बना ली।

महाराष्ट्र में भाजपा के साथ साये की तरह रहने वाली शिवसेना पार्टी अचानक एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हो गई।

और टूट गई शिवसेना...

तकरीबन तीन साल तक उद्धव ठाकरे की अगुआई में महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार चली। फिर साल 2022 को राज्य में एक नया सियासी ड्रामा शुरू हुआ।

तत्कालीन शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे बागी हो गए। उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला न ले पाएं।

वहीं, राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा। बहुमत साबित करने में महाअघाड़ी दल असमर्थ रही। नतीजा यह हुआ कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुआई में सरकार बनी। एकनाथ शिंदे गुट ने भाजपा के साथ हाथ मिलकार राज्य में सरकार बना लिया।

दो हिस्सो में बंटी शिवेसना 

सुप्रीम कोर्ट ने भी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को असली शिवसेना करार दिया।  इसके बाद 17 फरवरी, 2023 को चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम 'शिवसेना' और पार्टी का चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। वहीं, चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को टार्च और मशाल वाला चिन्ह दे दिया।

चाचा-भतीजे आ गए आमने-सामने 

शिवसेना के दो हिस्सों में टूटने के बाद अब बारी एनसीपी की थी। दरअसल, एनसीपी के भीतर भी चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक खटास इतनी बढ़ गई कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार 40 विधायकों के साथ बागी हो गए।

54 विधायकों वाली एनसीपी पार्टी एक झटके में दो हिस्सों में बंट गई। वहीं, (एनसीपी ) अजित गुट भी भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ सरकार में शामिल हो गई। अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस के साथ राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने भी अजित गुट को असली एनसीपी करार दिया। निर्वाचन आयोग ने एनसीपी (शरद गुट) को 'तुरहा बजाता हुआ व्यक्ति' राकांपा-शरदचंद्र पवार पार्टी का नया चुनाव चिह्न दिया।

महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति 

मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधानसभा की बात करें तो 288 विधानसभा सीटों में सत्तापक्ष यानी महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं।

  • भाजपा (106)
  • शिवसेना (40)
  •  एनसीपी (40)
  •   बीवीए (3)
  •   पीजेपी (2)
  •   मनसे (1)
  •   आरएसपी (1)
  •   पीडबल्यूपीआई (1)
  •   जेएसएस (1)
  •   निर्दलीय (12)
वहीं, महाअघाड़ी दल यानी विपक्ष के पास 77 सीटें हैं।

  • कांग्रेस (44)
  • एनसीपी (13)
  • शिवसेना (ठ) (16)
  • माकपा (1)
  • एसडब्ल्यूपी (1)
  • निर्दलीय (1)
इसके अलावा चार विधायकों ने किसी गठबंधन को समर्थन नहीं दिया है। एक सीट खाली है।

सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों का क्या है फॉर्मूला?

बीजेपी नेता चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा कि 90 फीसदी सीटों पर बातचीत पूरी हो चुकी है और शेष 10 फीसदी अगले कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा। खबरों के मुताबिक, भाजपा 140-150 सीटों के बीच कहीं भी चुनाव लड़ सकती है। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 80 सीटों पर लड़ने की संभावना है, जबकि एनसीपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

बात करें महाअघाड़ी दल की तो महाराष्ट्र में कांग्रेस कम से कम 110 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इतना ही नहीं सीएम पद पर भी कांग्रेस की नजर है। वहीं,  उद्धव की पार्टी शिवसेना 90-95 और एनसीपी शरद पवार 80-85 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। सेंट्रल मुंबई सहित कुछ अल्पसंख्यक सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। 

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