मुंबई में इस बार मतदान बढ़ाने की तैयारी, खास 'स्वीप' प्रयोग करने में जुटा चुनाव आयोग
Maharashtra Election हाल के चुनावों में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कम मतदान प्रतिशत देखने को मिले हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने इस बार मतदान प्रतिशत और लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए खास स्वीप प्रयोग करने की तैयारी की है। यह प्रयोग पूर्व में भी कुछ क्षेत्रों में किया जा चुका है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। पढ़ें क्या है ये खास प्रोग्राम।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई महानगर कम मतदान के लिए जाना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी मुंबई से ज्यादा मतदान तो नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली एवं कश्मीर में दर्ज किया जा चुका है, लेकिन, इस बार मुंबई के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में निर्वाचन आयोग के 'स्वीप सिद्धांत' के प्रयोग से मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी हो रही है।
निर्वाचन आयोग देश में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन करता है। इसी में एक है स्वीप, यानी सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता)। स्वीप कार्यक्रम की एक विस्तृत रूपरेखा बना रखी है, जिसे अमल में लाकर स्थानीय प्रशासन अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा सकता है।
दो निर्वाचन क्षेत्रों में बढ़ाए जा रहे हैं प्रयास
हालांकि, चुनाव के दौरान अन्य व्यस्तताओं के कारण व्यवस्था में लगे अधिकारी इस स्वीप के कार्यक्रमों को लागू कराने पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन, मुंबई के दो निर्वाचन क्षेत्रों- अणुशक्ति नगर एवं चेंबूर में इस बार जनरल ऑब्जर्वर बनकर काम कर रहे उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी डॉ हीरालाल स्वीप व्यवस्था को पूरी तरह लागू कराकर इन दोनों क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के साथ ही चुनाव भी पर्यावरण अनुकूल कराने का प्रयास कर रहे हैं।पहले उत्तर प्रदेश के बांदा और फिर पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब के रोपड़ लोकसभा क्षेत्र में अपने इन्हीं प्रयासों से मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सफल रहे डॉ हीरालाल ने इसी प्रयास के तहत अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र के 262 एवं चेंबूर विधानसभा क्षेत्र के 290 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को इस काम में सक्रिय किया है।
ऐसे बढ़ाई जाती है जन भागीदारी
इन बीएलओ से 10-10 लोगों से बात कर मतदान में भाग न लेने का कारण जाना गया है। उन कारणों को दूर करने के उपाय भी उन्हीं बीएलओ की मदद से खोजे जा रहे हैं। अलग-अलग हाउसिंग सोसायटियों, पार्कों एवं स्वयंसेवी संगठनों के कार्यालयों में वरिष्ठ लोगों के साथ बीएलओ बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। इसमें स्वयं ऑब्जर्वर भी भाग ले रहे हैं।स्कूल-कॉलेजों में भी इसी प्रकार की बैठकें कर छात्रों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे अपने अभिभावकों को मतदान के लिए प्रेरित करें और उसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर डालें। दैनिक जागरण से बात करते हुए डॉ हीरालाल कहते हैं कि इन प्रयासों से ही वह अतीत में बांदा और रोपड़ में करीब 10 प्रतिशत तक मतदान बढ़ाने में सफल रहे हैं। मुंबई में भी इसका सकारात्मक असर अभी से देखने को मिल रहा है।
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