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Maharashtra Election: चुनाव लड़े बिना 'किंगमेकर' बनेंगे मनोज जरांगे! विरोधियों को कैसे देंगे झटका; ये है प्लानिंग

Maharashtra Election मराठा आरक्षण आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि अब वह सिर्फ मराठा आरक्षण का विरोध करनेवालों को हरवाने की भूमिका निभाएंगे। जरांगे ने अपनी आगे की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि राजनीति हमारा खानदानी पेशा नहीं है। हमने किसी भी पार्टी या नेता को समर्थन नहीं दिया है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 04 Nov 2024 05:22 PM (IST)
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Maharashtra Election: मराठा आरक्षण आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के उम्मीदवार नहीं लड़ेंगे चुनाव।(फोटो सोर्स: जागरण)
जेएनएन, मुंबई। कई महीनों से विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी करते आ रहे मराठा आरक्षण आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने अब चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार न उतारने का निर्णय किया है।उन्होंने कहा है कि अब वह सिर्फ मराठा आरक्षण का विरोध करनेवालों को हरवाने की भूमिका निभाएंगे।

सोमवार सुबह पत्रकारों से बात करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि एक समाज के बल पर हम चुनाव नहीं लड़ सकते। मुस्लिम और दलित समुदाय के नेताओं से हमने उनके उम्मीदवारों की सूची मांगी थी। लेकिन वह नहीं मिल पाई। इसलिए इस चुनाव में हम उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।

जरांगे ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना 

जरांगे ने अपनी आगे की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि राजनीति हमारा खानदानी पेशा नहीं है। हमने किसी भी पार्टी या नेता को समर्थन नहीं दिया है। जो 400 पार का नारा दे रहे थे, आपने देखा है उनका क्या हुआ। मराठा समुदाय का दबदबा कायम रहेगा, इसमें कोई शक नहीं है। आप सभी को चुपचाप वोट करके आना है। मराठा समाज को अपनी लाइन समझ लेनी चाहिए।

आरक्षण का विरोध करने वालों की बढ़ेगी टेंशन 

जरांगे पाटिल के इस वक्तव्य का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि उन्होंने मराठा समुदाय को कुनबी का दर्जा देकर उन्हें ओबीसी कोटे के अंतर्गत आरक्षण देने का विरोध करनेवालों को हराने का फर्मान जारी कर दिया है। इसी तरह का फर्मान जरांगे पाटिल ने कुछ माह पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी जारी किया था।

इसके कारण जरांगे पाटिल के प्रभाव वाले मराठवाड़ा क्षेत्र की आठ लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट सत्तारूढ़ महायुति के हिस्से में आई थी। अब यदि जरांगे का यही जादू विधानसभा चुनाव में भी चला, तो मराठवाड़ा की 46 सीटों पर महायुति को नुकसान हो सकता है।

हर समुदाय के लोगों से मुलाकात कर रहे थे जरांगे

बता दें कि जरांगे पाटिल मराठा समुदाय के साथ दलितों, आदिवासियों एवं मुस्लिमों का गठजोड़ बनाने के लिए प्रयासरत थे। वह चाहते थे कि उनके उम्मीदवारों में मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदाय के चेहरे भी शामिल हों। वह इन सभी समाज के लोगों से बराबर मिल भी रहे थे।

कुछ ही दिनों पहले उन्होंने मुस्लिम मौलाना सज्जाद नोमानी से भी मुलाकात की थी। उन्होंने मराठा समाज के चुनिंदा लोगों को विभिन्न क्षेत्रों से नामांकन करके रखने को कहा था, ताकि सही अवसर पर वह अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़वा सकें। लेकिन अब उन्होंने इन सभी उम्मीदवारों से अपना नामांकन वापस लेने की घोषणा कर दी है।

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