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Maharashtra: किसान लगाएंगे MVA की नैया पार! चुनाव से पहले अन्नदाताओं को लुभाने के लिए विपक्ष की क्या है प्लानिंग?

Maharashtra Election 2024 किसानों की आत्महत्या पिछले तीन दशक से बड़ा राजनीतिक मुद्दा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से उपजी नाराजगी राजग गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचा चुकी है। अब विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष सोयाबीन और कपास किसानों के मुद्दे गरमा कर सरकार को घेरने में जुट गया है। विपक्ष ने कपास और सोयाबीन का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 04 Nov 2024 10:28 AM (IST)
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Maharashtra Election 2024 एमवीए ने किसानों के नाम पर शिंदे सरकार को घेरा।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Maharashtra Election 2024 महाराष्ट्र की राजनीति में किसानों की आत्महत्या पिछले तीन दशक से बड़ा राजनीतिक मुद्दा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से उपजी नाराजगी राजग गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचा चुकी है। अब 

किसानों के मुद्दे गरमा रही MVA  

अब विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष सोयाबीन और कपास किसानों के मुद्दे गरमा कर सरकार को घेरने में जुट गया है। शिंदे सरकार की ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ के विरुद्ध किसानों की नाराजगी ही उसे एकमात्र कारगर हथियार जान पड़ रही है।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले कपास और सोयाबीन एक चुनावी मुद्दा बनते दिखाई दे रहे हैं। विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में 40 लाख कपास किसान हैं। इन क्षेत्रों में हर साल लगभग 80 लाख गांठ कपास का उत्पादन होता है।

तीन दशक से समस्याओं का सामना कर रहे किसान

विदर्भ क्षेत्र के केंद्र नागपुर के बाहरी इलाके में कपास की खेती करने वाले किसान प्रमोद जाधव कहते हैं कि कपास किसान पिछले तीन दशक से समस्याओं का सामना कर रहे हैं। विदर्भ जनांदोलन समिति के संस्थापक एवं वरिष्ठ किसान नेता किशोर तिवारी कहते हैं कि बहुराष्ट्रीय निगमों को कीमतें  नियंत्रित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए कहते हैं कि  केंद्र सरकार की दोषपूर्ण आयात-निर्यात नीतियों के कारण राज्य के किसान तबाह हो गए हैं। कीमतें आसमान छू रही हैं, फिर भी सोयाबीन, कपास और प्याज जैसी फसलों के लिए उचित मूल्य कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।

केंद्र को घेरने में जुटी कांग्रेस

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले भी राज्य एवं केंद्र सरकारों को घेरते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। महाराष्ट्र के कपास किसान पहले से ही संकटग्रस्त हैं, उन्हें कम कीमतों, कृषि इनपुट पर 12-18 फीसद जीएसटी लगाए जाने के कारण उच्च इनपुट लागत और बेमौसम बारिश जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

एमएसपी पर कपास की खरीद की मांग

अब कपास की गांठों के आयात पर प्रतिबंध लगाने,  भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को तत्काल राहत प्रदान करने तथा कीमतों को स्थिर करने के लिए एमएसपी पर कपास की खरीद करने का निर्देश तुरंत दिया जाना चाहिए। वह कहते हैं कि 22 लाख गांठ कपास के आयात की हालिया खबरों ने भारतीय बाजार में कपास की कीमतों में संभावित गिरावट के बारे में गंभीर चिंता पैदा कर दी हैं।

इस आयात के साथ-साथ सीसीआई के पास मौजूद 11 लाख बिना बिकी गांठों के कारण कपास बाजार में अस्थिरता आने और किसानों की आजीविका पर असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है। पटोले कहते हैं कि फिलहाल कपास 6,500-6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है, जो 7,122 रुपये के एमएसपी से काफी कम है। इस कम बाजार मूल्य के कारण, किसानों ने निकट भविष्य में बेहतर कीमत की उम्मीद में अब तक अपनी उपज नहीं बेचने का फैसला किया था। अब 22 लाख गांठों के आसन्न आयात से स्थानीय रूप से उत्पादित कपास की मांग कम होने का खतरा पैदा हो गया है।

किसानों के मुद्दे पर आक्रामक हुआ विपक्ष

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के आक्रामक रुख को किसान संगठनों की मांगों से बल मिल रहा है। किसान मजदूर आयोग (केएमसी) एवं नेशन फॉर फार्मर्स (एनओएफ) जैसे संगठन कहते हैं कि नई सरकार को आत्महत्या प्रभावित परिवारों के किसानों के सभी बकाया कृषि ऋण माफ करने चाहिए और ऐसे सभी परिवारों के बच्चों को उचित अवसर प्रदान करने चाहिए। ये संगठन शेतकरी (किसान) कामगार आयोग या कृषि कल्याण आयोग की स्थापना का अनुरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक वैधानिक निकाय होगा।

इसमें न केवल सरकारी अधिकारी बल्कि कृषि क्षेत्र के प्रतिष्ठित स्वतंत्र विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। वहीं, महाराष्ट्र में भाजपा के नेता विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अजय पाठक कहते हैं कि किसानों को नियमित रूप से पीएम किसान सम्मान निधि योजना से 6,000 रुपए और नमो शेतकरी महासम्मान निधि योजना से 6,000 रुपये मिल रहे हैं। इसे महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुरू किया था। इसके अलावा  महाराष्ट्र सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अनुग्रह राशि और राहत देकर भी किसानों की मदद की है।

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