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'मोदी युग अब खात्मे की ओर, मिलने वाला है बड़ा संदेश', जागरण से खास बातचीत में ऐसा क्यों बोले शरद पवार?

Maharashtra Election 2024 पीएम मोदी के प्रहारों को अपने लिए फायदेमंद होने का कटाक्ष करते हुए शरद पवार आत्मविश्वास जताते हैं कि महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम संदेश देगा कि मोदी युग समाप्ति की ओर है। नासिक में अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच बुधवार को शरद पवार ने दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर संजय मिश्र से विशेष बातचीत की। ये हैं बातचीत के प्रमुख अंश....

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 14 Nov 2024 09:13 AM (IST)
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Maharashtra Election 2024 शरद पवार ने जागरण से की खुलकर बातचीत। (फोटो- जागरण)
संजय मिश्र, जेएनएन, मुंबई। Maharashtra Election 2024 महाराष्ट्र की राजनीति को दशकों से प्रभावित कर रहे एनसीपी-एसपी के अध्यक्ष शरद पवार के राजनीतिक किले में भले ही भतीजे अजित पवार ने भले ही विभाजन की दीवार खड़ी कर दी है, लेकिन अपनी पुरानी जमीन को फिर पसीने से सींचने का जज्बा इन वयोवृद्ध नेता में साफ दिखाई देता है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस, एनसीपी-एसपी और शिवसेना यूबीटी का महाविकास आघाड़ी गठबंधन सूबे की सत्ता में आने के जो दावे कर रहा है, उसके पीछे 84 वर्षीय पवार का ही पावर माना जा सकता है। प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में प्रदेश की राजनीति की धुरी बने शरद पवार का दावा है कि अंडरकरंट एमवीए के पक्ष में है, जिसका मुकाबला महायुति पैसे से करना चाहता है।

पीएम मोदी के प्रहारों को अपने लिए फायदेमंद होने का कटाक्ष करते हुए शरद पवार आत्मविश्वास जताते हैं कि महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम संदेश देगा कि मोदी युग समाप्ति की ओर है। नासिक में अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच बुधवार को शरद पवार ने दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर संजय मिश्र से विशेष बातचीत की। ये हैं बातचीत के प्रमुख अंश....

  • सवाल- चुनाव अभियान अपने आखिरी चरण में है, पूरे सूबे में घूम चुके हैं, ऐसे में महाराष्ट्र का चुनावी मिजाज कुछ भांप पाए हैं आप?
जवाब- महाराष्ट्र में पिछले 10 सालों में उद्धव ठाकरे की करीब दो साल की सरकार के अलावा बाकी आठ साल से भाजपा और उसके साथियों के ही हाथ में सत्ता रही है। मगर उनके काम करने की जो पद्धति है, मुझे लगता है कि लोग इससे संतुष्ट नहीं है। अभी कुछ महीने पहले महायुति सरकार ने इसके मद्देनजर ही कुछ सौगातों की घोषणाएं कीं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में लोगों ने इन्हें उनकी जगह दिखाते हुए नीचे उतारा था। इसलिए पापुलर प्रोग्राम लेकर लोगों में जाने का उन्हें इस चुनाव में ख्याल आया है। मगर आम लोगों को यह मालूम है कि महायुति का यह चुनावी जुमला है। चुनाव होने के बाद ऐसा कुछ नहीं करेंगे। इसीलिए महाराष्ट्र की जनता का मूड सत्ता परिवर्तन करते हुए हुकूमत को बदलना का बन चुका है।

  • सवाल- चर्चा है कि महाविकास आघाड़ी के शीर्ष नेतृत्व के बीच तो आपसी सद्भाव खूब है मगर नीचे कार्यकर्ता के स्तर पर समन्वय कम है। क्या यह सच्चाई है?
जवाब-  ऐसा नहीं है। आघाड़ी के सभी दलों के साथी सभी जगह हमारे साथ आ रहे हैं। अभी यहीं देखिए तीनों दलों के नेता-कार्यकर्ता मिलकर काम कर रहे हैं। 

  • सवाल- शिवसेना यूबीटी उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने का संदेश दे रही है, क्या यह गठबंधन में अंदरूनी रस्साकशी का संकेत नहीं है?
जवाब- एमवीए में मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी पार्टी की ओर से कोई दावेदारी नहीं है। महाराष्ट्र की जनता तय करेगी कि किसे मुख्यमंत्री बनाना है। चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस, एनसीपी-एसपी और शिवसेना यूबीटी हम तीनों मिलकर सीएम तय करेंगे। हमारे बीच कोई अनबन नहीं है और ऐसी बातें हमारे विरोधी पक्ष फैला रहे हैं। 

  • सवाल- महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे चाहे जिस दिशा में जाए, लेकिन कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति पर इसका बड़ा असर होगा, आपका क्या आकलन है?
जवाबमहाराष्ट्र में भाजपा और उनके साथियों के जीत की कोई संभावना नहीं है। अगर उनकी हार हो गई तो संदेश देश भर में जाएगा। आज प्रधानमंत्री मोदी जरूर देश की हुकूमत चला रहे हैं, मगर इसके लिए उन्हें आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू और बिहार के नीतीश कुमार की मदद लेनी पड़ी रही है। ये दोनों लोग एक समय में भाजपा की राजनीति पर प्रहार करते थे। मुझे याद है कि इंडिया गठबंधन की पहली मीटिंग जब बिहार में हुई तो नीतीश कुमार की इसमें अहम भूमिका थी और उन्होंने भाजपा के खिलाफ एक सशक्त राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की आवश्यकता क्यों है, इस पर बहुत लंबा भाषण भी दिया। ऐसे लोगों को आज मोदी साहब साथ लेकर चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र में यदि महायुति की हुकूमत नहीं आएगी और वास्तविक रूप में नहीं आने जा रही और बागडोर हमें मिलेगी तो इससे एक संदेश जाएगा कि मोदी युग आज अब खत्म होने के रास्ते पर है।

  • सवाल- जब चुनाव होता है तो प्रधानमंत्री आप पर आक्रामक हमला करते हैं और सामान्य दिनों में आपकी प्रशंसा करते हैं, इसमें आप दोनों के बीच क्या कोई छुपा-छुपी का खेल है? 
जवाब- कोई छुपा-छुपी का खेल नहीं है। प्रधानमंत्री जब मुझ पर आक्रामक हमला करते हैं तो यह मेरे फायदे की बात है। कुछ समाचारपत्रों ने आजकल लिखा था कि पीएम ने पवार साहब के लिए चुप्पी लगाई हुई है और बोल नहीं रहे हैं। वे बोल नहीं रहे हैं, यह मेरे लिए चिंता की बात है और उन्हें बोलना चाहिए। जब चुनाव नहीं होता और वे बोलते हैं तब मुझे ज्यादा चिंता होती है क्योंकि वे लोगों के सामने कहते हैं कि शरद पवार की उंगली पकड़ कर मैं जाता हूं। मुझे मेरी उंगली के बारे में चिंता रहती है। (ठहाका लगाते हुए)।

  • सवाल- आप महाविकास आघाडी की जीत के दावे कर रहे हैं। गठबंधन को कितनी सीटें मिलने जा रही है?
जवाब- नंबर आज मैं नहीं कह सकता। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 में से हमें 31 सीटें आईं और उन्हें 17 सीटें मिलीं। उस समय एक अंडर करंट था और आज भी मुझे एक अंडर करंट दिख रहा है कि जनता परिवर्तन चाहती है। पैसे से इसका मुकाबला करने की महायुति की रणनीति है। इसका असर कितना होगा यह देखना होगा। मुझे लगता है कि इसका असर होगा नहीं। इसका एक उदाहरण मेरे पास है लोकसभा चुनाव में बारामती की एक तहसील में आधी रात के बाद लोगों को पैसे बांटे गए। हमें चिंता हुई कि चुनाव पर इसका असर होगा मगर उस तहसील से हमें उनकी तुलना में ज्यादा वोट मिले। इससे साबित हुआ कि लोगों ने पैसा भी लिया पर वोट जिसको देना है उसी को दिया। यह समझदारी लोगों के मन में है और इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि आघाड़ी को लोग मौका देंगे।

  • सवाल- चुनाव में पैसे के बढ़ते प्रभाव पर आप एक ओर चिंता जता रहे मगर परिणाम को लेकर आप आशान्वित हैं, फिर आपकी चिंता कैसी?
जवाब- चिंता इसकी है कि आज महाराष्ट्र की हुकूमत जिन लोगों के हाथों में है उन्होंने बहुत पैसे का इस्तेमाल करना शुरू किया है। महाराष्ट्र में पैसे से राजनीति को तय करने की कोई परंपरा संस्कृति नहीं रही थी। मगर सत्ताधारी पक्ष पैसे का चुनाव में बहुत इस्तेमाल कर रहा है। लोकसभा में तो नहीं हुआ मगर इसका असर विधानासभा चुनाव में कैसा होगा यह देखना होगा।

  • सवाल-  महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य रहा है मगर यहां ध्रुवीकरण चुनावी विमर्श में मुखर दिख रहा, विशेषकर बंटेंगे तो कटेंगे जैसे विमर्श से क्या आप आपकी परेशानी नहीं बढ़ेगी?
जवाब- मोदी साहब प्रधानमंत्री हैं। किसी पीएम की यह जिम्मेदारी है कि अपने देश में सामाजिक विभाजन, प्रोपेगांडा, वैमनस्य पैदा करने वाली बातों से हमेशा दूर रहना चाहिए। अपनी राजनीतिक पालिसी लोगों के सामने रखने में कुछ गलत नहीं। विपक्ष की आलोचना करते हैं तो यह भी गलत नहीं। मगर जिससे समाज में बंटवारे का भाव पनपे, ऐसी बातें कहना शोभा नहीं देता। पीएम को समाज से लेकर देश की जिम्मेदारी संभालनी है। मोदी साहब ने यह जो नया ट्रेंड शुरू किया है, इसकी वजह है कि ओबीसी का एक वर्ग आज जागृत हुआ और अपना हिस्सा मांग रहा है। अपने हक के लिए सामने आ रहे इस वर्ग को रोकने के लिए बंटेंगे तो क्या होगा, ऐसी भाषा मोदी साहब प्रयोग कर रहे हैं। 

  • सवाल- अजित पवार ने दावा किया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ पांच साल पहले आपकी राज्य की राजनीतिक सत्ता तय करने के लिए बैठक हुई थी इसमें उद्योगपति गौतम अदाणी भी मौजूद थे। क्या यह सच है? 
जवाब- यह सच नहीं है। सबसे पहली बात कि महाराष्ट्र में आज तक यह कभी हुआ नहीं कि किसी राजनीतिक पार्टी को कोई डिक्टेट नहीं कर सकता कि कौन सीएम बने। हां, किसी काम से आया होगा, मुलाकात की होगी। मगर सरकार और सीएम कौन होगा, यह निर्णय करने की ताकत महाराष्ट्र में किसी के पास है तो यहां की जनता और राजनीतिक पार्टियों को है। किसी उद्योगपति की ऐसी ताकत कभी नहीं रही और होगी भी नहीं। जहां तक अदाणी से मुलाकात की बात है तो अजित पवार को केवल उनके पास ही नहीं तमाम कई अन्य उद्योपतियों व कारोबारियों के पास लेकर गया हूं मगर इसका एजेंडा महाराष्ट्र के विकास और उद्योग का था। उन्हें बाकी अन्य लोगों का नाम भी बताना चाहिए केवल एक व्यक्ति का नाम लेना चाहिए। 

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